केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने हाल ही में एक बयान में कहा कि भारतीय सेना ने “सिंदूर के अपमान” का बदला “ऑपरेशन सिंदूर” के माध्यम से लिया है। उन्होंने इस महत्वपूर्ण कार्रवाई को भारत की सैन्य शक्ति और राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रतीक बताया। बुधवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर उन्होंने कहा, “भारत मां-तेरी जय हो, विजय हो। यह है शक्तिशाली भारत। मोदी सरकार की आतंकवादियों एवं उनके आकाओं पर की गई करारा ऐतिहासिक कार्रवाई से भारत का सिर ऊंचा हुआ है। जय जवान, जय हिन्दुस्तान।”

नित्यानंद राय के इस बयान ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब किसी भी आतंकवादी हमले या उसके प्रतीकों के अपमान को सहन करने वाला देश नहीं है। “ऑपरेशन सिंदूर” का नाम अपने आप में प्रतीकात्मक है, जो भारतीय संस्कृति में स्त्री सम्मान, शक्ति और मातृभूमि के गौरव का प्रतीक माना जाता है। यह ऑपरेशन न केवल आतंकवादियों को सख्त संदेश देता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत अपनी सांस्कृतिक अस्मिता और राष्ट्रगौरव के प्रति पूरी तरह सजग और सतर्क है।

इस ऑपरेशन को जिस तरह से अंजाम दिया गया, वह भारतीय सेना की रणनीतिक क्षमता, दक्षता और साहस का प्रमाण है। यह कार्रवाई बताती है कि भारत की सुरक्षा एजेंसियां किसी भी खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं, और आतंकवादियों को अब हर कदम पर करारा जवाब मिलेगा।

मोदी सरकार की यह नीति रही है कि “आतंक के खिलाफ जीरो टॉलरेंस” अपनाया जाए। पिछले कुछ वर्षों में हुए कई अभियानों — जैसे सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक और अब ऑपरेशन सिंदूर — ने दुनिया को यह संदेश दिया है कि भारत अब रक्षात्मक नहीं, बल्कि निर्णायक और आक्रामक रणनीति पर काम कर रहा है।

नित्यानंद राय का यह वक्तव्य भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह देशवासियों को एकजुट करता है और सेना के प्रति गर्व और विश्वास को और अधिक मजबूत करता है। उन्होंने “जय जवान, जय हिन्दुस्तान” के नारे के साथ यह स्पष्ट किया कि देश की सुरक्षा के लिए समर्पित हर जवान का योगदान अमूल्य है और उन्हें राष्ट्र का पूर्ण समर्थन प्राप्त है।

“ऑपरेशन सिंदूर” आने वाले समय में भारत की आतंकवाद विरोधी रणनीति का एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। यह केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि भारत की आत्मा, उसकी संस्कृति और उसकी अस्मिता की रक्षा के लिए उठाया गया कदम है।

इस प्रकार, यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत अब केवल प्रतिक्रिया नहीं देता, बल्कि पहले से तैयारी करता है और दुश्मन को उसी की भाषा में जवाब देता है। “ऑपरेशन सिंदूर” इसका जीवंत प्रमाण है।

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