जातीय गणना के मामले पर जदयू 1 सितंबर से पोल खोल अभियान शुरू करेगा। इस अभियान के तहत 1 से 5 सितंबर तक संध्या काल में बिहार के सभी जिला मुख्यालयों में मशाल जुलूस एवं कैंडल मार्च का आयोजन होगा।
वहीं, 7 से 12 दिसंबर तक यह अभियान सभी प्रखंड मुख्यालयों में चलेगा। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस कर अभियान का एलान किया।
उन्होंने यह भी बताया कि 15 से 20 सितंबर तक जदयू के सभी स्तर के पदाधिकारी एवं सक्रिय साथी अपने-अपने घरों पर काला झंडा लगाकर भाजपा का विरोध करेंगे और उसके संविधान विरोधी चरित्र को उजागर करेंगे।
ललन सिंह ने कहा कि जाति आधारित गणना को लेकर भाजपा का चेहरा अब खुलकर सामने आ गया है।
जातीय गणना को रोकने के लिए सोमवार को जब भारत सरकार के सोलिसिटर जनरल सुप्रीम कोर्ट में खुलकर पक्ष रखने खड़े हो गए तो यह साबित हो गया कि भाजपा गरीब विरोधी, अतिपिछड़ा विरोधी, पिछड़ा विरोधी, दलित विरोधी और जन विरोधी पार्टी है।
वोट लेने के समय प्रधानमंत्री मोदी जी अतिपिछड़ा बन जाते हैं लेकिन इस बार उनका चेहरा बेनकाब हो गया है। भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि 1 सितम्बर से भाजपा का पोल-खोल अभियान जदयू पार्टी का फैसला है।
इसको समर्थन देने के लिए महागठबंधन के घटक दलों से भी बात होगी।
वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा मध्य प्रदेश में सरकार आने पर जाति आधारित गणना कराने के वादे पर ललन सिंह ने कहा कि बिहार में कराया जा रहा यह गणना पूरे देश की मांग हो गई है लेकिन केन्द्र की सरकार पर इसका कोई असर नहीं हो रहा है।
पर्दे के पीछे से अड़ंगा डालने में लगी रही भाजपा
ललन सिंह ने कहा कि जाति आधारित गणना को लेकर बिहार विधानमंडल से दो बार सर्वसम्मति प्रस्ताव पारित हुआ जिसमें भाजपा भी शामिल थी।
11 सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री से मिलकर केन्द्र द्वारा गणना कराने की मांग रखी। लेकिन केन्द्र जब तैयार नहीं हुआ तो मुख्यमंत्री जी ने अपने संसाधनों से इसे कराने का निर्णय लिया।
उन्होंने कहा कि 70 फीसदी गणना का काम पूरा होने के बाद भाजपा ने पर्दे के पीछे से इसमें अड़ंगा लगाने की कोशिश की और अपने सहयोगी संगठनों को आगे कर पटना हाईकोर्ट में लोकहित याचिका दायर करवाई।
वहां से सफलता नहीं मिलने पर ये लोग सर्वोच्च न्यायालय चले गए। सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता के पक्ष से अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी खड़े हो गए लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी स्थगन आदेश देने से इनकार कर दिया।
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