राज्य के प्रारंभिक विद्यालयों में बच्चों को बेहतर शैक्षणिक माहौल उपलब्ध कराने की दिशा में शिक्षा विभाग ने एक अहम कदम उठाया है। प्राथमिक शिक्षा निदेशक साहिला ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों (डीईओ) को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि वे अपने-अपने जिलों के सभी विद्यालयों में पंखा, ट्यूब लाइट, बल्ब, विद्युत वायरिंग एवं पेयजल आपूर्ति जैसे आधारभूत संसाधनों की तत्काल व्यवस्था सुनिश्चित करें। साथ ही, दो दिनों के भीतर इस संबंध में रिपोर्ट भेजें।

यह आदेश बुधवार को जारी किया गया, जिसमें शिक्षा निदेशक ने स्पष्ट किया कि विद्यालयों में गर्मी के मौसम को देखते हुए बिजली और पेयजल की सुविधाएं पूरी तरह से दुरुस्त रहनी चाहिए। विद्यालयों में यदि चापाकल खराब हैं या पेयजल की कोई अन्य समस्या है, तो उसे अविलंब ठीक कराया जाए ताकि बच्चों को पढ़ाई के दौरान किसी प्रकार की असुविधा न हो।

राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय को 50 हजार रुपये की राशि स्वीकृत की है, जिससे पंखा, ट्यूब लाइट, बल्ब, वायरिंग आदि की आवश्यकताएं पूरी की जा सकें। यह राशि विद्यालय विकास अनुदान के रूप में नामांकन के आधार पर दी जाती है। इसके बावजूद कई जिलों से अब तक मुख्यालय को कोई ठोस रिपोर्ट नहीं भेजी गई है, जिससे शिक्षा निदेशक ने नाराजगी जताई है।

विद्यालय निरीक्षण के दौरान यह सामने आया कि कई स्कूलों में पर्याप्त संख्या में पंखे और लाइटें नहीं हैं। साथ ही कई स्थानों पर चापाकल खराब हैं, जिससे बच्चों को पानी पीने में परेशानी हो रही है। ऐसे में न केवल बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, बल्कि स्वास्थ्य संबंधी जोखिम भी बढ़ रहे हैं। शिक्षा निदेशक ने कहा कि प्रधान शिक्षक और डीईओ की मॉनीटरिंग कमजोर है, जिससे यह स्थिति उत्पन्न हुई है।

शिक्षा विभाग का मानना है कि जब सरकार द्वारा पर्याप्त राशि और संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं, तो इस तरह की लापरवाही किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। विभाग ने साफ किया है कि यदि समय पर रिपोर्ट नहीं आती या आदेश का पालन नहीं होता है, तो संबंधित पदाधिकारियों पर जवाबदेही तय की जाएगी।

इस निर्णय का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बच्चे सुरक्षित, स्वच्छ और सुविधाजनक वातावरण में पढ़ाई कर सकें। शिक्षा विभाग की यह पहल निश्चित रूप से स्कूलों की स्थिति सुधारने में सहायक होगी, यदि इसे सख्ती से लागू किया जाए।

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