मंगलवार-बुधवार की दरम्यानी रात दो बजकर 51 मिनट पर मोबाइल फोन की घंटी बजी। स्क्रीन पर महाकुम्भ कवरेज में सक्रिय प्रिंसिपल फोटोग्राफर सलमान अली का नाम देखा। तब तक मुझे जरा भी आभास नहीं था कि सलमान के पहले दो वाक्य मेरी नींद उड़ा देंगे। फोन उठाते ही वह बोले- सर, मेला क्षेत्र में भगदड़ मच गई है। संगम के पास हादसा हुआ है।

संगम सुनकर मैं सन्न रह गया क्योंकि पिछले पांच दिन से मेले में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं का केंद्र यही स्थल है। ऐसे में भगदड़ का दृश्य जेहन में आते ही मैं कांप उठा।

सलमान ने मुझे बताया, रात लगभग डेढ़ बजे का समय रहा होगा। अखाड़ों के अमृत स्नान के लिए बनाए गए मार्ग के बगल में श्रद्धालुओं के संगम स्नान का मार्ग है। इस पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु खुले आसमान के नीचे सामान के साथ लेटे और बैठे हुए थे। उन्हें स्नान के लिए ब्रह्म-मुहूर्त का इंतजार था। इस बीच मार्ग पर श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने लगी तो लोगों को वहां से उठाया जाने लगा। दबाव लगातार बढ़ता चला गया। इससे बैरिकेडिंग टूटकर गिर गई और हजारों लोग लेटे या बैठे हुए लोगों को रौंदते हुए गुजर गए।

सलमान से बातचीत के तुरंत बाद लैपटॉप पर गूगल सर्च किया तो मेले में उमड़ी भीड़ की खबरें ही दिखीं। तब तक मीडिया कैंप में ठहरे साथी सक्रिय हो गए थे। मेला अस्पताल पहुंचे एक साथी ने बताया-सर, कुछ हुआ है। एंबुलेंस के सायरन की लगातार आवाजें आ रही हैं। मेला क्षेत्र से इनमें घायलों को लाया जा रहा है। एक के बाद एक एंबुलेंस बगैर किसी बाधा के घटनास्थल से अस्पताल पहुंच रही थी। घटनास्थल पर मौजूद सलमान से फिर फोन पर हाल जाना तो पता चला कि हालात तेजी से सामान्य हो गए हैं। प्रति-सवाल किया कि पुलिस-प्रशासन को दस में से कितने नंबर दोगे? उसने तपाक से कहा दस और बोला- जिस क्षेत्र में घटना हुई वहां लाखों की भीड़ जमा थी।

संयम और सक्रियता के साथ प्रशासनिक मशीनरी ने विकट स्थिति को सामान्य किया। एंबुलेंस के लिए अस्पताल तक बेहद तेजी से ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। फलस्वरूप घटना एक सीमित क्षेत्र में ही सिमट कर रह गई। बैरियर खोले जाने से वहां जमा भीड़ निकल गई। अखाड़ों के अमृत स्नान को छोड़ दें तो घटना के वक्त और उसके बाद मौनी स्नान पर इसका कोई असर नहीं पड़ा।

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