गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में बुधवार को मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान के लिए श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा। हर बाधा पार कर, कई किलोमीटर पैदल चलने के बाद संगम क्षेत्र में श्रद्धालु सुबह से लेकर देर रात तक प्रवेश करते नजर आए। मंगलवार आधी रात संगम नोज पर हुई घटना के बाद भी स्नान का क्रम रुका नहीं। रात आठ बजे तक स्नान करने वालों की संख्या 7.64 करोड़ पहुंच गई थी।

लोगों में पुण्य स्नान का जुनून ऐसा था कि संगम क्षेत्र में अस्पताल की ओर भाग रहीं एंबुलेंस के सायरन की तेज आवाज भी श्रद्धालुओं के उत्साह को कम नहीं कर सकीं। अफरातफरी के कारण बड़ी संख्या में लोगों को लौटकर दूसरे घाटों पर स्नान करना पड़ा।

भगदड़ के चलते अखाड़ों ने सुबह पांच बजे के स्थान पर दोपहर बाद ढाई बजे से डुबकी लगानी शुरू की ताकि आम श्रद्धालु पहले स्नान कर लें। इस दौरान पहली बार तीन शंकराचार्यों विधु शेखर, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और सदानंद सरस्वती ने एकसाथ डुबकी लगाई।

दोपहर होते-होते एंबुलेंस के सायरन शांत होने तक स्थितियां सामान्य हो चुकी थी। गाड़ियां नहीं मिलने के कारण स्नान के बाद बड़ी संख्या में लोगों ने पार्क, खाली स्थानों पर ही डेरा डाल दिया और ओस की बारिश में भी ठंड से कड़कड़ाते लोग स्नान करने की खुशी से फूले नहीं समा रहे थे।

महाकुम्भ में हुई घटना दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। पूरे कुम्भ क्षेत्र में श्रद्धालु जहां भी स्नान करेंगे, उन्हें कुम्भ स्नान का ही फल मिलेगा।

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती

महाकुम्भ में सभी साधु-संतों और नागाओं ने पवित्र स्नान किया। मैं इस व्यवस्था के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बधाई देता हूं।

रवींद्र पुरी, अखाड़ा परिषद अध्यक्ष

मृतकों के पार्थिव शरीर को उनके घर पहुंचाने का बंदोबस्त कर शासन-प्रशासन को उनके परिवार से संवाद करना चाहिए।

शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती

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