भागलपुर जिले की फरका पंचायत में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाभुकों के नाम लिस्ट में होने के बावजूद उन्हें मकान का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इस समस्या से परेशान होकर पंचायत की कई महिलाएं और परिवारजनों ने जिलाधिकारी कार्यालय का रुख किया। जनता दरबार में अपनी समस्या लेकर पहुंचे इन लोगों ने मुखिया पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि मुखिया योजना का लाभ देने के बदले में उनसे 20,000 रुपये की मांग कर रहे हैं। पैसे नहीं देने पर लिस्ट में नाम होने के बावजूद उन्हें मकान आवंटित नहीं किया जा रहा है।

महिलाएं पहुंचीं डीएम से न्याय की गुहार लगाने

आज आयोजित जनता दरबार में फरका पंचायत की दर्जनों महिलाएं और उनके परिजन अपनी शिकायतें लेकर पहुंचे। सभी ने जिलाधिकारी को बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उनका नाम लिस्ट में है, लेकिन पंचायत के मुखिया जान-बूझकर उन्हें योजना का लाभ नहीं दे रहे हैं। एक महिला फरियादी ने बताया, “हमारा नाम लिस्ट में है, लेकिन मुखिया कहते हैं कि जब तक 20,000 रुपये नहीं दोगे, तब तक आवास नहीं मिलेगा। हम गरीब लोग हैं, इतनी बड़ी रकम कहां से लाएं?”

मुखिया पर भ्रष्टाचार का आरोप

पीड़ित परिवारों का आरोप है कि मुखिया हर लाभार्थी से रिश्वत की मांग कर रहे हैं। जिन लोगों ने पैसे दिए, उन्हें योजना का लाभ मिल गया, लेकिन जो पैसे देने में असमर्थ हैं, उन्हें लगातार टालमटोल किया जा रहा है। शिकायतकर्ताओं ने कहा कि मुखिया के इस रवैये के कारण उनके परिवार बेघर रह रहे हैं। उनका जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ है क्योंकि न तो उनके पास रहने का सुरक्षित स्थान है और न ही सरकार की योजना का कोई लाभ।

प्रधानमंत्री आवास योजना का उद्देश्य

प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण और शहरी गरीबों को घर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू की गई है। इस योजना का लाभ उन गरीब और बेघर परिवारों को मिलना चाहिए जिनका नाम पात्र लाभुकों की सूची में शामिल है। लेकिन भ्रष्टाचार और अधिकारियों की लापरवाही के कारण कई बार जरूरतमंद परिवार अपने अधिकार से वंचित रह जाते हैं। फरका पंचायत की स्थिति भी इसका एक उदाहरण है।

जिलाधिकारी ने दिए जांच के आदेश

जनता दरबार में जिलाधिकारी ने शिकायतकर्ताओं की बात को गंभीरता से सुना और तुरंत संबंधित विभाग को मामले की जांच के आदेश दिए। उन्होंने कहा कि किसी भी भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगर मुखिया दोषी पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। जिलाधिकारी ने लाभुकों को भरोसा दिलाया कि उन्हें योजना का पूरा लाभ मिलेगा और किसी से भी रिश्वत नहीं मांगी जाएगी।

ग्रामीणों की समस्याएं

फरका पंचायत के ग्रामीणों ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिलने से उन्हें बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। एक बुजुर्ग महिला ने कहा, “मेरे पास रहने को घर नहीं है। बरसात में मेरा पुराना मकान गिर गया। नई योजना में नाम तो आया है, लेकिन पैसे मांगे जा रहे हैं। हम कहां से लाएं इतने पैसे?” इसी तरह अन्य लाभुकों ने भी मुखिया पर जबरन पैसे वसूलने का आरोप लगाया और न्याय की गुहार लगाई।

भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी

इस मामले ने फिर से ग्रामीण स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है। गरीब और जरूरतमंद लोग अक्सर सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रह जाते हैं क्योंकि उन्हें योजना के तहत मिलने वाली सुविधाओं के लिए रिश्वत देनी पड़ती है। फरका पंचायत का यह मामला भी इसी ओर इशारा करता है कि किस तरह स्थानीय स्तर पर भ्रष्टाचार ने सरकारी योजनाओं की सफलता पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।

क्या कहता है कानून

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाभुकों को किसी भी प्रकार की आर्थिक मांग से बचाने के लिए सख्त प्रावधान किए गए हैं। यदि कोई अधिकारी या पंचायत प्रतिनिधि योजना का लाभ देने के बदले रिश्वत की मांग करता है, तो यह दंडनीय अपराध है। पीड़ित लाभुक जिला प्रशासन और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

लोगों की उम्मीदें और प्रशासन की जिम्मेदारी

फरका पंचायत के पीड़ितों को अब जिलाधिकारी से न्याय की उम्मीद है। प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह इस मामले में निष्पक्ष और त्वरित कार्रवाई करे ताकि जरूरतमंद परिवारों को उनका अधिकार मिल सके। भ्रष्टाचार के मामलों में सख्ती से निपटने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में कोई भी गरीबों के हक को न छीन सके।

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री आवास योजना गरीबों के लिए वरदान है, लेकिन भ्रष्टाचार के कारण इसका उद्देश्य पूरा नहीं हो पाता। फरका पंचायत का यह मामला शासन-प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि वह भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कठोर कदम उठाए। जिलाधिकारी द्वारा दिए गए जांच के आदेश से पीड़ितों को राहत की उम्मीद है। अब देखना होगा कि दोषी मुखिया के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है और गरीबों को कब उनका हक मिलता है।

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