गोपालगंज जिले के कुचायकोट थाना क्षेत्र में जमीन कब्जा करने के प्रयास को लेकर जेडीयू विधायक अमरेंद्र कुमार पांडेय, उनके भाई सतीश पांडेय और एक अन्य व्यक्ति भोला पांडेय पर गंभीर आरोप लगे हैं। इस मामले में कुचायकोट थाने में एफआईआर दर्ज की गई है, जिसके बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।
मामला सामने आने के बाद इलाके में राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। बताया जा रहा है कि यह आरोप मीरगंज थाना क्षेत्र के सेमराव गांव निवासी जितेंद्र कुमार राय ने लगाए हैं। उन्होंने कुचायकोट विधानसभा क्षेत्र से जदयू विधायक अमरेंद्र कुमार पांडेय, उनके बड़े भाई सतीश पांडेय और सिवान जिले के कदम मोड़ (बलेथा बाजार) निवासी भोला पांडेय के खिलाफ थाने में आवेदन देकर मुकदमा दर्ज करवाया है।
शिकायतकर्ता जितेंद्र कुमार राय के अनुसार, तीनों नामजद व्यक्तियों ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर मुजफ्फरपुर निवासी किरण सिन्हा की जमीन पर अवैध कब्जे की कोशिश की। यह जमीन कुचायकोट थाना क्षेत्र के बेलवा गांव में स्थित है। जानकारी के मुताबिक, यह जमीन खाता नंबर 38 और खेसरा नंबर 513 के अंतर्गत आती है, जिसकी कुल रकबा 16 एकड़ 93 डिसमिल है। इस जमीन पर वर्तमान में खेती-बाड़ी की जाती है।
आवेदन में यह भी उल्लेख किया गया है कि यह पूरा मामला पिछले वर्ष 4 अगस्त से जुड़ा है, जब जितेंद्र कुमार राय अपने खेत में जुताई का काम कर रहे थे। तभी चार-पांच की संख्या में कुछ लोग हथियार लेकर वहां पहुंचे और उन्हें धमकाते हुए खेत में काम करने से रोका। शिकायतकर्ता का आरोप है कि ये लोग कब्जा करने के इरादे से आए थे और उन्हें डरा-धमकाकर जमीन से बेदखल करना चाहते थे।
इस मामले में कुचायकोट थाने में कांड संख्या 208/25 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस ने मामला दर्ज करने के साथ ही जांच भी शुरू कर दी है। थाने से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि पुलिस इस मामले को गंभीरता से ले रही है और जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी। पुलिस का यह भी कहना है कि दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।
बता दें कि जेडीयू विधायक अमरेंद्र कुमार पांडेय को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का करीबी माना जाता है। ऐसे में उनके ऊपर एफआईआर दर्ज होने से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। यह मामला ऐसे समय पर सामने आया है जब चुनाव का माहौल धीरे-धीरे बन रहा है। ऐसे में यह एफआईआर कई सवाल खड़े कर रही है।
हालांकि इस पूरे मामले में अब तक जेडीयू पार्टी या विधायक की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला आने वाले दिनों में और तूल पकड़ सकता है और विपक्ष इसे चुनावी मुद्दा भी बना सकता है।
फिलहाल पुलिस जांच जारी है और इलाके के लोगों की नजर इस केस की प्रगति और कार्रवाई पर बनी हुई है।
