वाहन चोरी के एक मामले में उपभोक्ता आयोग ने याचिकाकर्ता के हक में फैसला सुनाया है। राज्य उपभोक्ता आयोग ने कहा है कि वाहन के अंदर चाबी छोड़ना मालिक की लापरवाही तो है, लेकिन इसके आधार पर बीमा के लाभ से पूरी तरह वंचित नहीं किया जा सकता है।

आयोग ने बीमा कंपनी की उस मांग को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि बीमा धारक की लापरवाही से वाहन चोरी हुआ है, इसलिए वह बीमा का लाभ पाने के हकदार नहीं है। आयोग के अध्यक्ष जस्टिस संगीता डी. सहगल और न्यायिक सदस्य राजन शर्मा की बेंच ने जिला उपभोक्ता फोरम के जनवरी, 2019 के आदेश को संशोधित करते हुए बीमा कंपनी की अपील का निपटारा कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया : बेंच ने सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के फैसले का हवाला देते हुए कहा है कि कार में एक चाबी छोड़ देना या भूल जाने को हर समय इतना गंभीर उल्लंघन के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए कि बीमाधारक को बीमा का दावा करने से वंचित कर दिया जाए। इस बात में कोई संदेह है कि जिस वक्त गाड़ी चोरी हुई, चाबी उसके अंदर थी।

बीमा मूल्य का 50 फीसदी वाहन मालिक को दे कंपनी : आयोग ने जिला उपभोक्ता फोरम के फैसले में संशोधन करते हुए बीमा कंपनी रिलायंस जीआईसी लिमिटेड को शिकायतकर्ता वाहन मालिक को बीमा मूल्य का 50 फीसदी यानी 8,99,988 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है। जिला उपभोक्ता फोरम ने पूरी रकम देने का आदेश दिया था।

रकम भुगतान करने का आदेश : आयोग ने बीमा कंपनी को 12 जुलाई से पहले, रकम का भुगतान करने का आदेश दिया है। साथ ही कहा कि यदि आदेश का पालन नहीं किया गया तो बीमा कंपनी को इस रकम पर नौ फीसदी ब्याज देना होगा।

2015 में कराया था बीमा : आयोग में पेश मामले के अनुसार, देवली निवासी भीम सिंह ने जुलाई 2012 में 24 लाख 43 हजार रुपये में पजेरो स्पोर्ट्स कार खरीदी। उन्होंने छह जुलाई 2015 को रिलायंस जीआईसी लिमिटेड से एक साल के लिए अपनी गाड़ी का बीमा कराया।

बीमा कंपनी ने कहा था कि कार का सेंट्रल लॉकिंग सिस्टम काम काम नहीं कर रहा था और चाबी भी डैशबोर्ड पर रखी हुई थी, जो चोरी की मूल वजह बनी। बीमा कंपनी ने इसे बीमा शर्तों का उल्लंघन बताते हुए बीमाधारक भीम सिंह को बीमा का लाभ देने से इनकार कर दिया था। इसके खिलाफ भीम सिंह ने उपभोक्ता फोरम में शिकायत दाखिल की। फोरम ने सिंह के पक्ष में फैसला दिया था। बाद में बीमा कंपनी ने आयोग में अपील दाखिल की थी।

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