प्रयागराज में इस बार आयोजित कुंभ मेले में भागलपुरी सिल्क के कपड़ों ने अपनी खास जगह बना ली है। भागलपुर का मशहूर सिल्क, जो अपने बेहतरीन कपड़े और बुनाई के लिए जाना जाता है, इस बार कुंभ मेले में खासा आकर्षण का केंद्र बन गया है। भगवा रंग के गमछा, बंडी, और साड़ी जैसे कपड़ों का भारी ऑर्डर प्राप्त हुआ है। भागलपुरी सिल्क के उत्पादों की मांग इतनी बढ़ गई है कि बुनकर दिन-रात काम करके इसे पूरा करने में लगे हुए हैं।
भागलपुरी सिल्क की खासियत
भागलपुरी सिल्क को देशभर में उसकी उच्च गुणवत्ता और टिकाऊपन के लिए जाना जाता है। इसके कपड़े न केवल आरामदायक होते हैं, बल्कि इनकी रंगाई और बुनाई भी बहुत खास होती है। कुंभ मेले जैसे धार्मिक आयोजनों में जहां भगवा रंग का विशेष महत्व होता है, वहां भागलपुरी सिल्क ने अपनी पकड़ और मजबूत कर ली है। इस बार मेले के आयोजकों और भक्तों ने भगवा रंग के पारंपरिक परिधानों के लिए बड़ी मात्रा में ऑर्डर दिया है।
5 करोड़ का ऑर्डर, 40 करोड़ का संभावित कारोबार
शुरुआत में भागलपुरी सिल्क को कुंभ मेले से लगभग 5 करोड़ रुपये का ऑर्डर मिला है। इनमें सबसे ज्यादा मांग भगवा रंग के गमछों, बंडियों और साड़ियों की है। धार्मिक आयोजनों में भगवा रंग को पवित्रता और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है, और इसी वजह से इसकी मांग काफी बढ़ गई है। बुनकरों को उम्मीद है कि यदि वे समय पर ऑर्डर पूरे कर लेते हैं, तो यह कारोबार 40 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
बुनकर समुदाय के लिए यह अवसर किसी वरदान से कम नहीं है। इस ऑर्डर के चलते भागलपुर के सिल्क उद्योग में नई जान आ गई है। बुनकरों का कहना है कि पिछले कुछ सालों से व्यापार में आई मंदी के बाद यह कुंभ मेला उनके लिए आशा की किरण लेकर आया है।
दिन-रात जुटे बुनकर
भागलपुर के बुनकर इस समय भगवा रंग के कपड़े तैयार करने में पूरी तरह व्यस्त हैं। हर बुनकर अपनी क्षमता से अधिक काम कर रहा है ताकि समय पर ऑर्डर पूरे किए जा सकें। कपड़ों को भगवा रंग में रंगने के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यह काम काफी मेहनत और सावधानी से किया जाता है ताकि कपड़ों की गुणवत्ता और रंग में कोई कमी न आए।
स्थानीय व्यापार को मिलेगा बढ़ावा
भागलपुरी सिल्क की इस मांग से न केवल बुनकरों को रोजगार मिलेगा, बल्कि पूरे क्षेत्र के आर्थिक हालात में सुधार होगा। सिल्क उद्योग से जुड़े अन्य छोटे व्यापारी, जैसे रंगाई करने वाले और पैकिंग सामग्री बेचने वाले, भी इस बड़े ऑर्डर से लाभान्वित हो रहे हैं। इसके अलावा, इस मेले से भागलपुरी सिल्क को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने की उम्मीद है।
धार्मिक आयोजनों से जुड़ी भावनाएं
कुंभ मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह देश की सांस्कृतिक और आर्थिक धरोहर का भी प्रतीक है। ऐसे में भागलपुरी सिल्क की भागीदारी ने इसे और भी खास बना दिया है। भक्तों के लिए भगवा रंग के कपड़े पहनना न केवल उनकी आस्था का हिस्सा है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का भी प्रदर्शन है।
निष्कर्ष
कुंभ मेले में भागलपुरी सिल्क की बढ़ती मांग ने यह साबित कर दिया है कि भारतीय परंपराएं और कारीगरी आज भी अपनी पहचान बनाए हुए हैं। यह अवसर भागलपुर के बुनकरों के लिए नई उम्मीद लेकर आया है और उनके हुनर को एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिला रहा है। यदि ऑर्डर समय पर पूरा होता है, तो यह न केवल बुनकरों के जीवन में बदलाव लाएगा, बल्कि पूरे भागलपुर के सिल्क उद्योग को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगा।