पीरपैती में अनुमंडल विधिक सेवा प्राधिकार ने दिया सैकड़ों महिलाओं को कानूनी जानकारी
अनुमंडल संवाददाता कन्हैया खंडेलवाल की रिपोर्ट
डालसा की पैनल अधिवक्ता पूनम कुमारी और सामाजिक कार्यकर्ता अनिता शर्मा ने उपस्थित सैकडों महिलाओं को जानकारी दी, जहां मुखिया सरपंच सहित सैकड़ों की संखया में लोग मोजूद थे। वही पैनल अधिवक्ता पूनम कुमारी ओर सामाजिक कार्यकर्ता अनिता शर्मा द्वारा उपस्थित लोगों के बीच मौलिक कर्तव्यों का वाचन करते हुए अनुमंडल विधिक सेवा समिति द्वारा किए जा रहे कार्यक्रमों को विस्तार से बताया गया। उन्होंने बताया की भारतीय कानून में महिलाओं को 11 अलग -अलग अधिकार मिले हैं. इनमें अहम हैं दफ्तर में यौन उत्पीड़न के खिलाफ सुरक्षा का अधिकार, किसी घटना की स्थिति में जीरो एफआईआर दर्ज करने का अधिकार और बराबर वेतन पाने का अधिकार आदि.
आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं. समान मेहनताना का अधिकार इक्वल रिम्यूनरेशन एक्ट में दर्ज प्रावधानों के मुताबिक जब सैलरी, पे या मेहनताने की बात हो तो जेंडर के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकते. किसी कामकाजी महिला को पुरुष की बराबरी में सैलरी लेने का अधिकार है. 2-गरिमा और शालीनता का अधिकार- महिला को गरिमा और शालीनता से जीने का अधिकार मिला है. किसी मामले में अगर महिला आरोपी है, उसके साथ कोई मेडिकल परीक्षण हो रहा है तो यह काम किसी दूसरी महिला की मौजूदगी में ही होना चाहिए, 3-दफ्तर या कार्यस्थल पर उत्पीड़न से सुरक्षा- भारतीय कानून के मुताबिक अगर किसी महिला के खिलाफ दफ्तर में या कार्यस्थल पर शारीरिक उत्पीड़न या यौन उत्पीड़न होता है, तो उसे शिकायत दर्ज करने का अधिकार है.

इस कानून के तहत, महिला 3 महीने की अवधि के भीतर ब्रांच ऑफिस में इंटरनल कंप्लेंट कमेटी (ICC) को लिखित शिकायत दे सकती है, 4-घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार- भारतीय संविधान की धारा 498 के अंतर्गत पत्नी, महिला लिव-इन पार्टनर या किसी घर में रहने वाली महिला को घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार मिला है. पति, मेल लिव इन पार्टनर या रिश्तेदार अपने परिवार के महिलाओं के खिलाफ जुबानी, आर्थिक, जज्बाती या यौन हिंसा नहीं कर सकते. आरोपी को 3 साल गैर-जमानती कारावास की सजा हो सकती है या जुर्माना भरना पड़ सकता है, 5-पहचान जाहिर नहीं करने का अधिकार- किसी महिला की निजता की सुरक्षा का अधिकार हमारे कानून में दर्ज है.
अगर कोई महिला यौन उत्पीड़न का शिकार हुई है तो वह अकेले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज करा सकती है. किसी महिला पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में बयान दे सकती है, 6-मुफ्त कानूनी मदद का अधिकार- लीगल सर्विसेज अथॉरिटीज एक्ट के मुताबिक बलात्कार की शिकार महिला को मुफ्त कानूनी सलाह पाने का अधिकार है. लीगल सर्विस अथॉरिटी की तरफ से किसी महिला का इंतजाम किया जाता है. इसके लिए वे स्थानीय अनुमंडल विधिक सेवा समिति में संपर्क कर सकती है, 7- रात में महिला को नहीं कर सकते गिरफ्तार- किसी महिला आरोपी को सूर्यास्त के बाद या सूर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं कर सकते. अपवाद में फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेड के आदेश को रखा गया है.
कानून यह भी कहता है कि किसी से अगर उसके घर में पूछताछ कर रहे हैं तो यह काम महिला कांस्टेबल या परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में होना चाहिए, 8-वर्चुअल शिकायत दर्ज करने का अधिकार- कोई भी महिला वर्चुअल तरीके से अपनी शिकायत दर्ज कर सकती है. इसमें वह ईमेल का सहारा ले सकती है. महिला चाहे तो रजिस्टर्ड पोस्टल एड्रेस के साथ पुलिस थाने में चिट्ठी के जरिये अपनी शिकायत भेज सकती है. इसके बाद एसएचओ महिला के घर पर किसी कांस्टेबल को भेजेगा जो बयान दर्ज करेगा, 9- अशोभनीय भाषा का नहीं कर सकते इस्तेमाल- किसी महिला (उसके रूप या शरीर के किसी अंग) को किसी भी तरह से अशोभनीय, अपमानजनक, या सार्वजनिक नैतिकता या नैतिकता को भ्रष्ट करने वाले रूप में प्रदर्शित नहीं कर सकते.

ऐसा करना एक दंडनीय अपराध है, 10- महिला का पीछा नहीं कर सकते- आईपीसी की धारा 354D के तहत वैसे किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी जो किसी महिला का पीछे करे, बार-बार मना करने के बावजूद संपर्क करने की कोशिश करे या किसी भी इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन जैसे इंटरनेट, ईमेल के जरिये मॉनिटर करने की कोशिश करे, 11-जीरो एफआईआर का अधिकार- किसी महिला के खिलाफ अगर अधिकार होता है तो वह किसी भी थाने में या कहीं से भी एफआईआर दर्ज करा सकती है. इसके लिए जरूरी नहीं कि कंप्लेंट उसी थाने में दर्ज हो जहां घटना हुई है. जीरो एफआईआर को बाद में उस थाने में भेज दिया जाएगा जहां अपराध हुआ हो.
प्राधिकार के मनीष पांडेय ने बताया कि अनुमंडल विधिक सेवा समिति कहलगांव के अध्यक्ष अवर न्यायाधीश श्री अमित कुमार शर्मा और मुंसिफ श्रीमती शिल्पा प्रशांत मिश्रा के निर्देशन में सभी प्रखंडों में राष्ट्रीय महिला आयोग के सहयोग से इस प्रकार के कार्यक्रम का कार्यान्वयन करते हुए अधिक से अधिक महिलाओं को विधिक सहायता के साथ साथ जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। इस अवसर पर पारा लीगल वोलंटियर श्री ऋषिकेश तिवारी राम जी पांडेय अपनी पूरी टीम के साथ मौजूद थे।
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