जिउतिया 2022 किस दिन संतान के सुख और शांति के लिए मां करेंगी व्रत। इस बार काशी और मिथिला पंचांग अलग-अलग दिन बता रहे हैं। महिलाओं को संशय है। इस व्रत में महिलाएं उपवास करतीं हैं। महिलाएं अपने संतान के लिए यह व्रत करतीं हैं।
भागलपुर। माताओं द्वारा किया जाने वाला जिउतिया व्रत पंचांगों में मतभेद के कारण दो दिन होगा। यह व्रत भक्ति और उपासना के सबसे कठिन व्रतों में एक होता है। इस व्रत में माताएं अपनी संतान के स्वस्थ जीवन और लंबी आयु की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। अलग-अलग मत के कारण तिथि को लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई है।
पंचांग के अनुसार हर साल यह व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। बूढ़ानाथ के पंडित आचार्य टुन्ना जी ने बताया कि मिथिला पंचांग के अनुसार व्रती 16 सितंबर को नहाय खाय के साथ व्रत का आरंभ करेंगे और 17 सितंबर को उपवास किया जाएगा। जबकि काशी पंचांग के अनुसार 17 सितंबर को नहाय खाय से व्रत का आरंभ होगा और 18 सितंबर को उपवास किया जाएगा । 19 को पारण होगा। ऐसे अधिकतर जगहों पर काशी पंचांग के अनुसार जिउतिया व्रत 18 सितंबर को किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 18 सितंबर को होगी। इसलिए इस बार रविवार को व्रत किया जाएगा।
काशी पंचांग के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि का प्रारंभ- 16 सितंबर दिन शुक्रवार दोपहर 1 बजकर 36 मिनट से होगा। अष्टमी तिथि का प्रारंभ- 17 सितंबर शनिवार की दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से होगा। अष्टमी तिथि रविवार की दोपहर 04 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। व्रत का पारण सोमवार सुबह 06 बजकर 38 मिनट के बाद किया जाएगा।
मिथिला पंचांग के अनुसार 17 सितंबर और काशी पंचांग के अनुसार 18 सितंबर को व्रती करेंगी उपवास
शास्त्रों के अनुसार जिस दिन अष्टमी तिथि में होता सूर्योदय उस दिन किया जाता जिउतिया
शास्त्रों के अनुसार जीवित्पुत्रिका व्रत का निर्णय अश्विन कृष्णपक्ष में जिस दिन चंद्रोदय काल में अष्टमी प्राप्त हो, उस दिन लक्ष्मी व्रत और जिस दिन सूर्योदय में प्राप्त हो उस दिन जीवित्पुत्रिका व्रत करना चाहिए।