भागलपुर के सदर अस्पताल में इन दिनों दलालों की सक्रियता काफी बढ़ गई है। ये दलाल मरीजों और उनके परिजनों को बहला-फुसलाकर निजी क्लीनिकों और अस्पतालों में भेज रहे हैं, जहां उनसे मोटी रकम ऐंठी जा रही है। खासकर ग्रामीण इलाकों से आए भोले-भाले मरीज और उनके परिजन इनके मुख्य निशाने पर हैं। इन दलालों का तरीका इतना चालाकी भरा होता है कि मरीज और उनके परिवार वाले इनकी बातों में आसानी से फंस जाते हैं।
ग्रामीण मरीज बने दलालों का निशाना
सदर अस्पताल में आने वाले अधिकांश मरीज ग्रामीण क्षेत्रों से होते हैं, जो इलाज के लिए शहर का रुख करते हैं। इन मरीजों को अस्पताल की प्रक्रियाओं और सुविधाओं की जानकारी नहीं होती। यही कारण है कि दलाल बड़ी आसानी से इन्हें जाल में फंसा लेते हैं। वे मरीजों को यह विश्वास दिलाते हैं कि अस्पताल में इलाज कराने से बेहतर है कि वे किसी निजी क्लीनिक या अस्पताल में जाएं, जहां उन्हें बेहतर और जल्दी उपचार मिलेगा। कई बार दलाल मरीजों को अस्पताल में सही उपचार न मिलने या गंभीर परिणाम होने का डर भी दिखाते हैं।
महिला दलाल भी हैं सक्रिय
सदर अस्पताल में सक्रिय दलालों में महिलाएं भी शामिल हैं। ये महिला दलाल खासकर प्रसूता महिलाओं और उनके परिजनों को निशाना बनाती हैं। जांच के नाम पर उनसे पैसे ऐंठती हैं और फिर फरार हो जाती हैं। ये महिलाएं परिजनों का भरोसा जीतने के लिए भावनात्मक तरीके अपनाती हैं और उनकी मजबूरी का फायदा उठाती हैं।
मरीजों और परिजनों को उठानी पड़ रही है आर्थिक मार
दलालों के चक्कर में फंसने के बाद मरीजों और उनके परिजनों को आर्थिक तौर पर भारी नुकसान उठाना पड़ता है। निजी क्लीनिक या अस्पताल में भर्ती होने के बाद इलाज के नाम पर उनसे मोटी रकम वसूली जाती है। कई बार मरीजों को सही इलाज भी नहीं मिल पाता और उनकी स्थिति और गंभीर हो जाती है। इसके अलावा, जो पैसे दलालों को दिए जाते हैं, वे भी वापस नहीं मिलते।
अस्पताल प्रबंधन ने की सावधान रहने की अपील
सदर अस्पताल प्रबंधन ने मरीजों और उनके परिजनों से अपील की है कि वे दलालों के झांसे में न आएं। प्रबंधन ने बताया कि अस्पताल में सभी प्रकार की स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हैं और यहां आने वाले मरीजों का इलाज पूरी ईमानदारी से किया जाता है। यदि कोई दलाल अस्पताल परिसर में नजर आए तो उसकी जानकारी तुरंत अस्पताल प्रशासन को दें।
सख्त कार्रवाई की जरूरत
सदर अस्पताल में दलालों की बढ़ती सक्रियता को देखते हुए जिला प्रशासन को सख्त कदम उठाने की जरूरत है। अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जाना चाहिए और दलालों पर कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। इसके अलावा, ग्रामीण मरीजों को जागरूक करना भी जरूरी है ताकि वे दलालों की धोखाधड़ी से बच सकें।
ग्रामीण इलाकों से आने वाले मरीजों और उनके परिजनों को यह समझना होगा कि सरकारी अस्पतालों में इलाज की प्रक्रिया भले ही थोड़ी समय लेने वाली हो, लेकिन यहां इलाज सस्ता और प्रभावी होता है। निजी क्लीनिकों और दलालों के चक्कर में फंसकर वे आर्थिक और शारीरिक दोनों तरह से नुकसान उठा सकते हैं। इस समस्या को खत्म करने के लिए अस्पताल प्रशासन, जिला प्रशासन और आम जनता को मिलकर प्रयास करने होंगे।