
लेकिन दूसरी तरफ भागलपुर तिलकामांझी पशुपालन विभाग परिसर में बने मवेशी अस्पताल में पशु चिकित्सा के नाम पर पशु पालकों को लूटा जा रहा है। यहां के डॉक्टर सैंपल वाली दवा बेचते हैं। इतना ही नहीं डॉक्टर साहब पशु पालकों को पुर्जे पर दवाई लिखने के बाद अपने चेंबर से ही पैसे लेकर दवाई देते हैं। यह हम नहीं बल्कि पशु का ईलाज करवाने आए लोग खुद कह रहे हैं। वहीं ड्यूटी में तैनात पशु चिकित्सक राजीव कुमार की बात सुन कर आपके होश उड़ जायेंगे।

डॉक्टर साहब खुद कह रहें हैं कि अस्पताल में मेडिकल संचालक दवाई बेचते हैं। अब इन्हें कौन समझाए कि किसी भी सरकारी अस्पताल में निजी मेडिकल संचालक द्वारा दवा बेचना गैर कानूनी है। यानी भागलपुर मवेशी अस्पताल में पशु चिकित्सा के नाम पर लूट मची है।मवेशीयों के ईलाज के नाम पर किस तरह डॉक्टर पशु पालकों से रुपए ऐंठते हैं।