एक बेहद दर्दनाक घटना में बिहार के भागलपुर जिले के सबौर स्टेशन पर मंगलवार सुबह 21 वर्षीय छात्रा काजल की मौत हो गई। बैंकिंग की तैयारी कर रही काजल को एक चोर ने चलती ट्रेन से धक्का दे दिया, जब वह उसका पीछा कर रही थी। प्लेटफॉर्म पर वह गंभीर रूप से घायल हो गई और एक घंटे तक तड़पती रही, लेकिन समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

काजल मूल रूप से खगड़िया की रहने वाली थी और ग्रेजुएशन के बाद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही थी। वह अपने पिता, बहन और अन्य परिजनों के साथ असम के प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर से पूजा कर लौट रही थी। वे गया-कामाख्या एक्सप्रेस ट्रेन में सवार थे। हादसा सबौर स्टेशन पर ट्रेन के रुकने के दौरान हुआ।

काजल के पिता सुनील कुमार के मुताबिक, काजल के पास एक बैग था जिसमें मोबाइल फोन और जरूरी दस्तावेज रखे थे। ट्रेन रुकते ही एक युवक वह बैग छीनकर भागा और चलती ट्रेन से कूद गया। काजल ने बिना समय गंवाए उसका पीछा किया। लेकिन तभी चोर के एक अन्य साथी ने पीछे से काजल को धक्का दे दिया। वह प्लेटफॉर्म पर गिर पड़ी और गंभीर रूप से घायल हो गई।

पिता और छोटी बहन के अनुसार, घायल काजल करीब एक घंटे तक प्लेटफॉर्म पर पड़ी रही। उन्होंने रेलवे सुरक्षा बल (RPF) से बार-बार मदद मांगी, लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा – “एंबुलेंस आ रही है।” मृतका की बहन ने बताया, “मैंने RPF जवानों से हाथ जोड़कर प्राइवेट अस्पताल ले चलने की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया।”

परिजनों का आरोप है कि RPF की लापरवाही की वजह से काजल की जान नहीं बचाई जा सकी। “बेटी को तड़पते हुए मरते देखना सबसे बड़ा दर्द है। अगर समय पर मदद मिल जाती, तो वो आज जिंदा होती,” – पिता सुनील कुमार ने कहा।

घटना के बाद रेलवे प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है। जब इस संबंध में मालदा डिवीजन के DRM मनीष कुमार गुप्ता से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उनके PRO ने फोन उठाते हुए कहा – “DRM सर मीटिंग में हैं, शाम चार बजे के बाद बात हो सकेगी।”

इस हृदयविदारक घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आपात स्थिति में रेलवे सुरक्षा और चिकित्सा व्यवस्था इतनी लचर क्यों है? जवाबदारी तय करने और न्याय दिलाने की मांग अब तेज़ होती जा रही है।

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