बिहार में शराब व गुटखा पर तो प्रतिबंध है, लेकिन तंबाकू चबाने पर कोई रोक नहीं है। आंकड़ों की बात करें तो राज्य के 23.5 प्रतिशत लोग चबाने वाले तंबाकू का सेवन करते हैं, जिसमें लगभग 20.5 प्रतिशत युवा इसके आदि हैं। तंबाकू के सेवन पर पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान का चौंकाने वाला शोध सामने आया है। शोध में दिल से जुड़ी बीमारियों के लिए तंबाकू चबाने को सिगरेट पीने से ज्यादा खतरनाक माना गया है।
तंबाकू चबाने वालों के लिए यह बड़ी खबर है। अभी तक दिल की बीमारी के मुख्य कारण उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, ब्लड कोलेस्ट्राल, धूम्रपान, मोटापा और तनाव को माना जाता रहा था। अब इसमें तंबाकू चबाना भी शामिल हो गया है। बिहार के एक अस्पताल (आइजीआइएमएस) में पहली बार तंबाकू खाने वाले हृदय के मरीजों पर हुए शोध में यह तथ्य सामने आया है। शोध में दिन में तीन बार से अधिक तंबाकू खाने वालों को शामिल किया गया।
फरवरी 2015 से जुलाई 2016 के दौरान किए गए इस शोध को साल 2022 में इंटरनेशनल जर्नल आफ फार्मासीटिक्ल एंड क्लीनिकल रिसर्च के 14वें संस्करण में जगह मिली है। इस शोध टीम में प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर डॉ. नीरव के साथ कार्डियोलॉजी विभाग के हेड डा. बीपी सिंह, डा. रवि विष्णु, डा. निशांत त्रिपाठी, डा. शंभू कुमार शामिल थे।
कच्चे तंबाकू को चबाने की लत बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों में सर्वाधिक है। तंबाकू नियंत्रण के क्षेत्र में बिहार सरकार को तकनीकी सहयोग देने वाली संस्था ‘सोशियो इकोनोमिक एंड एजुकेशनल सोसाइटी (SEEDS) बिहार में तंबाकू पर प्रतिबंध लगाने की मांग करती रही है। सीड्स के अनुसार राज्य में गुटखा एवं पान मसाले को प्रतिबंधित किया गया है। बिहार में 23.5 फीसदी चबाने वाले तंबाकू का सेवन करते हैं, जिसमें लगभग 20.5 फीसद युवा खैनी खाते हैं।