आम लोगों के दिमाग में पुलिस विभाग को लेकर कई छवियां घूमती रहती हैं. लोग तो यहां तक कहते हैं कि ना पुलिस की दोस्ती अच्छी और ना दुश्मनी. कई बार पुलिस वाले किसी बुरे काम के लिए आलोचनाओं में घिर जाते हैं तो कई बार अच्छे कामों के लिए उनकी प्रशंसा होती है. अभी कुछ दिनों से एक पुलिस वाले की प्रशंसा हो रही है. ये प्रशंसा किसी पुलिसिया कार्य के कारण नहीं बल्कि इनकी शिक्षक की भूमिका निभाने के कारण हो रही है.
पुलिसकर्मी बना शिक्षक
जी हां आपने सही सुना समाज को अपराध मुक्त बनाने वाले एक पुलिसकर्मी ने अब समाज के बच्चों के बीच फैले अज्ञानता के अंधेरे को दूर भगाने का जिम्मा उठाया है. मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के एक पुलिसकर्मी ने अब ये जिम्मा उठाया है कि उनके क्षेत्र का कोई गरीब बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे. पन्ना जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर स्थित है ब्रजपुर गांव. यहां के थाना परिसर में रिपोर्ट लिखवाने वालों और थाने में बंद करने के लिए लाए गए आरोपियों के अलावा बहुत से छोटे छोटे बच्चे भी देखने को मिलते हैं.
पहले शिक्षक ही थे बखत सिंह
ऐसा इसलिए क्योंकि कभी सरकारी शिक्षक रहे बखत सिंह अब सब इंस्पेक्टर बन चुके हैं. सब इंस्पेक्टर बनने के बावजूद वह अपना शिक्षक धर्म नहीं भूले. तभी तो वह हर सुबह ड्यूटी पर जाने से पहले कक्षा 4 से आगे के बच्चों और विभिन्न प्रतियोगी और सिविल सेवा परीक्षाओं में बैठने की इच्छा रखने वाले बच्चों को सुबह 7 से 10 तक लगाकर पढ़ाते हैं. इन्होंने थाना परिसर में ही एक अध्ययन केंद्र-सह-पुस्तकालय शुरू किया है. इसका उद्देश्य वंचित बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करना है.
बच्चों को शिक्षित करने का उठाया जिम्मा
करीब 6 हजार आबादी वाले ब्रजपुर गांव में इंसपेक्टर बखत सिंह अशिक्षा और गरीबी को दूर भगाने का जिम्मा उठाए हुए हैं. उन्होंने यहां के बच्चों को शिक्षित करने की ठानी है. अपने इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्होंने ‘विद्यादान’ जैसी पहल शुरू की है. इसके अंतर्गत उन्होंने पुलिस स्टेशन मेंलाइब्रेरी बनवाई और बच्चों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया. बखत सिंह की इस पहल का लाभ खास तौर पर दलित, आदिवासी और अन्य ओबीसी वर्ग के शिक्षा से वंचित ऐसे बच्चे को मिल रहा है. इनमें वे बच्चे भी हैं जो पास में स्थित खदानों में मजदूर के रूप में काम करते हैं. बखत सिंह ने इन सबको शिक्षित करने का जिम्मा उठाया.
नहीं लगता बच्चों को पुलिस से डर
आम तौर पर लोग पुलिस स्टेशन का नाम सुनते ही डर जाते हैं लेकिन बखत सिंह का कहना है कि पुलिस का उद्देश्य अपराधियों में डर पैदा करना होता है. पुलिस हमेशा अच्छे लोगों का स्वागत करती है. बखत सिंह पुलिस की सकारात्मक छवि बनाना चाहते हैं. उनका विश्वास है कि साक्षरता और अच्छी नैतिक शिक्षा के दम पर समाज में फैले अपराध को रोका जा सकता है.
बखत सिंह से पढ़ने वाले 15 वर्षीय आदर्श दीक्षित सिविल सेवा की परीक्षा देना चाहते हैं. उनके अनुसार शुरुआत में उन्हें पुलिस स्टेशन में पैर रखने से भी डर लगता था लेकिन बखत सिंह से मिलने के बाद वह जब उनके पढ़ाने के तरीकों और व्यक्तित्व से रूबरू हुए तो इसने उन्हें बहुत प्रभावित किया.