पश्चिम बंगाल में 10 लोगों को जिंदा जलाए जाने के मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बैकफुट पर आ गई हैं।  राज्य सरकार ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सीआईडी) ज्ञानवंत सिंह की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। वहीं, बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग की है। मजूमदार ने कहा, “बंगाल में कानून-व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह से चरमरा गई है। अगर सत्ताधारी दल के नेताओं को बैक-टू-बैक हमलों में मारा जा सकता है, तो आम लोग कितने सुरक्षित हैं। मुख्यमंत्री को अभी इस्तीफा देना चाहिए।”

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टीएमसी के राज्यसभा सदस्य शांतनु सेन ने मजूमदार पर पलटवार किया है। सेन ने कहा, “भाजपा एक घटना के कारण मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रही है। इस आधार पर तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भाजपा शासित राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए पहले इस्तीफा देना चाहिए था।”

पंचायत नेता की हत्या के बाद भड़की हिंसा
दरअसल, सोमवार को टीएमसी के एक पंचायत नेता की हत्या के बाद भड़की हिंसा में 10 लोगों की मौत की खबर है। इन लोगों के घरों को आग लगा दी गई थी, जिसमें वे जिंदा जलकर मर गए। इसके अलावा बड़ी संख्या में लोगों के घायल होने की भी खबर है। पुलिस ने कहा कि बीरभूम जिले की बारशल ग्राम पंचायत के उप-प्रधान भादू शेख की सोमवार को हत्या कर दी गई थी। उसके बाद ही रात को यह आगजनी कांड हुआ, जिसमें 10 लोग जिंदा जल गए। भादू शेख बोगतुई गांव के रहने वाले थे।

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आग हिंसा के दौरान नहीं लगी, TMC का दावा
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह आगजनी टीएमसी के एक गुट के सदस्यों की ओर से की गई है। हालांकि तृणमूल कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज किया है। बीरभूम जिले के टीएमसी के अध्यक्ष अनुब्रत मंडल ने दावा किया कि यह आग हिंसा के दौरान नहीं लगाई गई है। उन्होंने कहा कि यह आगजनी शॉर्ट सर्किट के चलते हुई थी और उसी की वजह से घरों में आग लग गई। टीएमसी कार्यकर्ताओं की ओर से हमले की बात को खारिज करते हुए मंडल ने कहा, ‘शॉर्ट सर्किट के चलते लोगों के घरों में आग लग गई थी और उससे ही मौतें हुई हैं। सोमवार की रात को कोई हिंसा नहीं हुई थी।’

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