दहेजदहेज

झंडापुर (भागलपुर)। दहेज लोभियों की क्रूरता का एक और शर्मनाक मामला झंडापुर थाना क्षेत्र अंतर्गत नन्हकार गांव से सामने आया है, जहां एक विवाहिता के साथ उसके ससुरालवालों ने सिर्फ इसलिए बेरहमी से मारपीट की क्योंकि वह दहेज में मांगे गए शेष रुपये और सोने की चकती नहीं ला सकी। पीड़िता की पहचान अर्चना देवी के रूप में हुई है, जो नन्हकार निवासी सन्नी यादव की पत्नी है। गुरुवार की सुबह अर्चना देवी को बेहद गंभीर अवस्था में बिहपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, जहां वह अस्पताल के बेड पर कांपती और भयभीत अवस्था में देखी गई।

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पीड़िता ने बताया कि करीब पांच वर्ष पूर्व उसकी शादी आंगनबाड़ी सेविका रंजना रानी के पुत्र सन्नी यादव से पूरे रीति-रिवाज के साथ हुई थी। विवाह के समय ससुराल पक्ष द्वारा चार लाख रुपये नकद और एक सोने की चकती की मांग की गई थी, जिसमें से अर्चना के पिता तीन लाख रुपये तो दे पाए, लेकिन बाकी एक लाख और चकती नहीं दे सके। विवाह के कुछ महीनों तक स्थिति सामान्य रही, परंतु बाद में ससुराल वालों ने अर्चना को दहेज को लेकर प्रताड़ित करना शुरू कर दिया।

अर्चना ने बताया कि धीरे-धीरे मारपीट और मानसिक उत्पीड़न का सिलसिला बढ़ता गया। सास रंजना रानी, पति सन्नी यादव और देवर छोटू यादव ने मिलकर उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। एक दिन तो हद तब हो गई जब अर्चना को घर से यह कहकर निकाल दिया गया कि जब तक वह बाकी के पैसे और सोने की चकती लेकर नहीं आएगी, तब तक उसे घर में घुसने नहीं दिया जाएगा। इस अपमान के बाद अर्चना मायके गोराडीह (कहलगांव) लौट आई और वहीं रहकर जीवन बिताने लगी।

बुधवार की शाम अर्चना देवी अपने दो भाइयों के साथ अपने ससुराल यह सोचकर वापस पहुंची कि शायद अब हालात सुधरे होंगे और उसे अपनाया जाएगा। लेकिन भाइयों के लौटने के बाद ही एक बार फिर उसके साथ हैवानियत भरा व्यवहार किया गया। अर्चना ने बताया कि पति सन्नी यादव, देवर छोटू यादव और सास रंजना रानी ने मिलकर उसके साथ मारपीट की, जिससे वह बुरी तरह घायल हो गई। सिर और पीठ पर गंभीर चोटें आईं। किसी तरह जान बचाकर वह भागी और पास के लोगों की मदद से गुरुवार की सुबह बिहपुर पीएचसी पहुंची।

अस्पताल में इलाज करवा रही अर्चना की हालत अब भी चिंताजनक बनी हुई है। वहीं, पीड़िता के भाई राहुल ने बताया कि वे इस घटना से स्तब्ध हैं और ऐसे निर्दयी लोगों को कानून के कठघरे में खड़ा करना जरूरी है। राहुल ने स्पष्ट किया कि इलाज पूरा होने के बाद झंडापुर थाना में इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि बहन के साथ जो अमानवीय व्यवहार किया गया है, उसके लिए दोषियों को सजा मिलनी ही चाहिए।

इस मामले ने एक बार फिर समाज में व्याप्त दहेज प्रथा की कुरूप सच्चाई को सामने ला दिया है, जिसमें अब भी बेटियों को सिर्फ इसलिए सताया जा रहा है क्योंकि उनके पिता समाज की अनावश्यक मांगों को पूरा करने में असमर्थ हैं। सवाल यह है कि आखिर कब तक बहुओं के साथ ऐसा अत्याचार होता रहेगा? कब तक बेटियों को दहेज के लिए मारपीट और अपमान सहना पड़ेगा?

झंडापुर थाना पुलिस ने फिलहाल इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन स्थानीय लोगों की मानें तो आरोपी परिवार की करतूतों के बारे में गांव में पहले भी चर्चा होती रही है। अर्चना की स्थिति को देखते हुए पुलिस द्वारा जल्द ही कड़ी कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की है और प्रशासन से जल्द न्याय की मांग की है।

समाज में ऐसी घटनाएं न सिर्फ कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा करती हैं बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में दहेज की कुप्रथा किस कदर गहराई तक जमी हुई है। ऐसे में जरूरत है एक कठोर और संवेदनशील प्रशासनिक रवैये की ताकि अर्चना जैसी किसी और बेटी को दोबारा यह दिन न देखना पड़े।

 

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