भागलपुर, बिहार की धरती जहां एक ओर ऐतिहासिक धरोहरें, गंगा की कलकल करती धारा और सांस्कृतिक विरासतें हैं, वहीं दूसरी ओर यहां के लोग भी अपने जुनून और मेहनत से एक मिसाल पेश करते हैं। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है भागलपुर के भीखनपुर की रहने वाली पूनम पांडेय ने, जिन्होंने अपने घर की छत को 63 किस्मों के फूलों से सजाकर एक खूबसूरत बगीचे में बदल दिया है।
फिल्म ‘सरस्वतीचंद्र’ का वह प्रसिद्ध गीत—”फूल तुम्हें भेजा है खत में, फूल नहीं मेरा दिल है”—शायद आज खतों के जरिए फूल भेजने का चलन न रहा हो, लेकिन लोगों का फूलों से प्रेम आज भी वैसा ही है। पूनम पांडेय का यह फूलों का बगीचा इसी प्रेम और लगाव का जीता-जागता उदाहरण है।

जब आप उनके घर की छत पर कदम रखते हैं, तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे आप किसी नर्सरी या बागीचे में आ गए हों। पहली नजर में यह विश्वास कर पाना मुश्किल होता है कि यह किसी साधारण घर की छत है। हर ओर रंग-बिरंगे फूल, हरे-भरे पौधे, और इन सबसे उठती भीनी-भीनी खुशबू वातावरण को न केवल सुगंधित बनाती है, बल्कि मन को भी सुकून देती है।
पूनम बताती हैं, “मैंने कभी यह सोचकर शुरुआत नहीं की थी कि इसे इतना बड़ा बनाना है। बस धीरे-धीरे एक-एक पौधा लगाना शुरू किया, और फिर यह मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गया। आज ये सभी फूल मेरे अपने बच्चे जैसे हैं। मैं रोज सुबह इनकी देखभाल करती हूं, पानी देती हूं, बात करती हूं और बदलते मौसम के अनुसार इनकी सुरक्षा का ध्यान रखती हूं।”
उनकी छत पर गुलाब, गेंदा, डहलिया, जीनिया, पिटुनिया, गुलदाउदी, बेला, चमेली, सूर्यमुखी जैसे लोकप्रिय फूलों के साथ-साथ कई दुर्लभ प्रजातियों के फूल भी देखने को मिलते हैं। कुछ पौधे तो ऐसे भी हैं जो विशेष देखरेख और तापमान की मांग करते हैं, लेकिन पूनम उन्हें भी पूरी लगन से संभालती हैं।
वह कहती हैं कि इस बगीचे ने उनकी मानसिक स्थिति पर भी सकारात्मक प्रभाव डाला है। “जब भी मैं परेशान होती हूं या किसी चिंता में होती हूं, तो बस इन फूलों के बीच कुछ पल बिता लेती हूं। मन अपने आप शांत हो जाता है। ऐसा लगता है जैसे ये फूल मुझसे बात कर रहे हों। इनसे मुझे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है,” पूनम मुस्कुराते हुए कहती हैं।
पूनम की इस खूबसूरत पहल ने न केवल उनके परिवार को सुख और शांति दी है, बल्कि आस-पास के लोगों को भी प्रेरित किया है। उनके कई पड़ोसी और रिश्तेदार अब खुद भी बागवानी की ओर झुकाव दिखा रहे हैं। कई लोग उनसे पौधों की देखभाल, खाद बनाने और फूलों की किस्मों के बारे में सलाह लेने आते हैं।
पूनम कहती हैं कि अगर मन में इच्छा हो तो कोई भी इंसान अपने छोटे से घर के किसी कोने को हरा-भरा और खुशबूदार बना सकता है। “छत हो या बालकनी, अगर आप फूलों से प्रेम करते हैं तो जगह कोई मायने नहीं रखती। थोड़ी मेहनत, थोड़ा समय और ढेर सारा प्यार चाहिए बस,” उन्होंने बताया।
उनका सपना है कि भागलपुर में हर घर की छत पर एक छोटा-सा बगीचा हो, जहां लोग सिर्फ फूल न उगाएं बल्कि अपने भीतर की थकावट, तनाव और नकारात्मकता को भी मिटा सकें। प्रकृति से जुड़ाव ही असली खुशी और शांति का रास्ता है—यह संदेश पूनम पांडेय अपने काम के जरिए लोगों तक पहुंचा रही हैं।
भागलपुर जैसे शहर में, जहां शहरीकरण के साथ हरियाली कम होती जा रही है, पूनम की यह पहल एक नई दिशा दिखाती है। उनके फूलों का यह बगीचा एक प्रेरणा है उन सभी लोगों के लिए, जो प्राकृतिक सुंदरता और आंतरिक शांति की तलाश में हैं। सच ही कहा गया है—जहां फूल खिलते हैं, वहां मुस्कान खुद-ब-खुद आ जाती है।
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