इसके आधार पर सूची में नामों की संख्या तय की जाती है।
विनाशकारी चक्रवातों के भी अजब-गजब नाम होते हैं। चौंकिए मत, कटरीना, बुलबुल, लीजा, पैलिन, लैरी, हुदहुद, निसर्ग, अंफान और निवार जैसे नाम चुक्रवातों के नाम हैं। कोरोना महामारी में तबाही के दौरान ‘तौकाते’ चक्रवात सुर्खियों में था। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इन तूफानों का नामकरण किस आधार पर रखा जाता है। इन विनाशकारी तूफानों का नामकरण कौन करता है। इस कड़ी में हम आपको बताते हैं कि इन चक्रवातों का नामकरण कैसे होता है। इस नामकरण की प्रक्रिया में कौन-कौन सी एजेंसी शामिल हैं। भारत में आने वाले तूफानों का नामकरण कैसे होता है।
चक्रवातों के नाम रखने का चलन वर्ष 2000 के बाद शुरू
भारत और उसके पड़ोसी देशों में चक्रवातों के नाम रखने का चलन वर्ष 2000 के बाद शुरू हुआ। इसमें प्रमुख रूप से बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाइलैंड शामिल है। इन मुल्कों ने पहले से अपने नामों की एक लिस्ट तैयार की हुई है। इसके अलावा तूफानों के नामकरण के लिए फिलहाल संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड मेट्रोलाजिकल आर्गेंनाइजेशन ने कुछ नियम तय किए हैं। इसके हिसाब से जिन क्षेत्रों में तूफान आएगा वहां की क्षेत्रीय एजेंसियां इसका नामकरण करेंगी।
भारत समेत 13 देश क्रमानुसार चुक्रवात का करते हैं नामकरण
अटलांटिक क्षेत्र में चक्रवातों के नामकरण की शुरुआत वर्ष 1953 की एक संधि से हुई थी। हिंद महासागर क्षेत्र के आठ देशों ने भारत की पहल पर इन तूफानों के नामकरण की व्यवस्था वर्ष 2014 में शुरू की थी। इन आठ मुल्कों में भारत, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, थाइलैंड और श्रीलंका शामिल है। वर्ष 2019 में ईरान, कतर, सऊदी अरब और यूएई और यमन को भी इस सूची मे शामिल किया गया।
यदि किसी तूफान के आने की आशंका बनती है तो ये 13 देश क्रमानुसार चक्रवात का नामकरण करते हैं। नवंबर 2017 में आए ओखी चक्रवात का नामकरण बांग्लादेश ने ही किया था। इसका अर्थ आंख होता है। इसके बाद सागर का नाम भारत ने सुझाया था। सोमालिया में जो चक्रवाती तूफान आया था, उसका नामकरण भारत ने किया था। इसे ‘गति’ नाम दिया गया था।
25 वर्षों तक के लिए नाम की सूची तैयार
आगामी 25 वर्षों तक के लिए देशों से नाम लेकर इसकी एक सूची तैयार की गई है। इन्हीं नामों में अल्फाबेटिकल आर्डर में नाम रखे जाते हैं। नई सूची में देशों ने जो नाम दिए हैं। उसमें भारत की ओर से दिए नामों में गति, तेज, मुरासु, आग, नीर, प्रभंजन घुरनी, अंबुल जलाधि और वेग नाम शामिल है। बांग्लादेश ने अर्नब और कतर ने शाहीन व बहार नाम रखा है। पाकिस्तान के लुलु तथा म्यांमार ने पिंकू नाम भी दिया है। 25 वर्षों के लिए बनी इस सूची को बनाते समय यह माना जाता है कि प्रत्येक वर्ष कम से कम पांच चक्रवात आएंगे। इसके आधार पर सूची में नामों की संख्या तय की जाती है।