बिहपुर; झंडापुर स्थित दक्षिणेश्वरी काली मां का मंदिर सिद्धशक्ति स्थल के नाम से विख्यात है। यह काली मां बुढ़िया काली के नाम से विख्यात है। यहां करीब 350 वर्षों से मां की पूजा हो रही है।

पहले मंदिर कच्चा बना हुआ था। 1903 में सुर्खी व चूना से भवन बनाया गया और 1984 में पुनर्निर्माण किया गया। मां की पूजा करने दूर-दूर से भक्त आते हैं। यहां के प्रधान पुजारी पंडित चंद्रमोहन झा उर्फ चानो झा व मुकेश झा ने बताया की बुढ़िया काली मां का पूजा वैदिक एवं तांत्रिक विधि से पूजा होता है। वहीं पूजा महासमिति के अध्यक्ष अभय कुमार भारद्वाज व धर्मेंद्र कुंवर, सचिव राम मनोहर कुंवर और यजमान सत्यम कुंवर उर्फ गुड्डू ने बताया कि कोलकाता के दक्षिणेश्वरी काली, वर्धमान बंगाल का काली एवं झंडापुर की बुढ़िया काली की निर्माण एक ही बंगाली परिवार के वंशज राजइंदर बंगाली पिता प्राण मोहन बंगाली ने किया था। देश आजाद होने के बाद बंगाली परिवार द्वारा मंदिर को सार्वजनिक कर कुंवर परिवार को देखरेख का जिम्मा दे दिया। बता दें कि 24 अक्टूबर  की मध्य रात्रि को मां पिंडी पर स्थापित होंगी और विसर्जन 26 अक्टूबर  की संध्या चार बजे चोरहर ढाला के पास पोखर में किया जाएगा। वहीं यजमान सत्यम उर्फ गुड्डू, अभिषेक उर्फ छोटू चौधरी, रविराज, मनोज कुंवर, चंदन कुंवर, संजीव कुमार उर्फ पप्पू, मनीष व पंकज ने  बताया कि मां काली के दरबार से कोई भक्त खाली नहीं लौटता है। भक्तों की मनोकामना पूरा होने बकरे  की बलि दी जाती है। मां के दरबार में दूर -दूर से भक्त आकर पूजा-अर्चना करते हैं।

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