देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए बॉर्डर पर हमारी सेनाएं तैनात हैं. वहीं, देश के भीतर सुरक्षा के लिए राज्यों में पुलिस की तैनाती की जाती है. देश के ज्यादातर राज्यों में पुलिस की वर्दी आमतौर पर एक जैसी यानी खाकी रंग की होती है. लेकिन देश का एक राज्य ऐसा भी है, जहां पुलिस वाले खाकी नहीं बल्कि सफेद रंग की वर्दी पहनते हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं पश्चिम बंगाल की. हालांकि पश्चिम बंगाल की पुलिस खाकी वर्दी भी पहनती है. इसी के साथ-साथ वहां सफेद वर्दी भी पहनी जाती है.

अंग्रेजों ने शुरू की थी सफेद वर्दी

बंगाल में पुलिस की सफेद वर्दी की वजह जानने के लिए इतिहास के कुछ पन्नों को पलटने की जरूरत है. दरअसल, बंगाल पुलिस की वर्दी का ये रंग अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है. आपको बता दें कि कोलकाता पुलिस का गठन साल 1845 में हुआ था. 1945 में देश तो आजाद हो गया लेकिन अंग्रेज कोलकाता पुलिस पर अपनी निशानी छोड़ गए. अंग्रेजों ने ही पुलिस वर्दी का सफेद रंग चुना था. 

सफेद रंग होने की ये है खास वजह

ऐसा नहीं है कि सफेद रंग की वर्दी के पीछे कोई खास वजह नहीं थी. दरअसल, कोलकाता समुद्र के किनारे बसा हुआ राज्य है. ऐसे में सालभर यहां गर्मी और नमी रहती है. ऐसे में ब्रिटिश द्वारा सफेद रंग का चयन किया गया. सफेद रंग गर्मी को रिफ्लेक्ट कर देता है. सफेद रंग की वर्दी होने से पुलिसकर्मियों को गर्मी का कम से कम एहसास होता है. यही वजह है कि बंगाल पुलिस खाकी वर्दी का इस्तेमाल करती है लेकिन कोलकाता पुलिस सफेद रंग की वर्दी पहनती है. 

खाकी वर्दी को भी अंग्रेजों ने किया था शुरू

आपको बता दें कि देश में पुलिस की खाकी वर्दी का चलन भी अंग्रेजों ने ही शुरू किया था. दरअसल, पहले सफेद रंग ही वर्दी हुआ करती थी, लेकिन ड्यूटी के दौरान वो गंदी हो जाती थी. इसके बाद अंग्रेजों ने वर्दी को रंगना शुरू किया. सफेद रंग की वर्दी पर अलग-अलग रंग लगाने की वजह से जवानों की यूनिफॉर्म अलग-अलग रंगों की दिखने लगती थी. ऐसे में यह पहचान पाना मुश्किल हो जाता था कि वो शख्स पुलिस का ही जवान है. इसी समस्या से निजात पाने के लिए अंग्रेज अफसरों ने खाकी रंग की वर्दी बनवाई, ताकि वो जल्दी गंदा न हो. सबसे पहले साल 1847 में अंग्रेज अधिकारी सर हैरी लम्सडेन ने पहली बार ऑफिशियल तौर पर खाकी वर्दी को अपनाया.

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