*भागलपुर (पीरपैंती प्रखंड):*
पीरपैंती प्रखंड अंतर्गत खवासपुर पंचायत के मध्य विद्यालय खवासपुर में बन रहे पंचायत भवन को लेकर ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिला। ग्रामीणों ने निर्माण कार्य को तत्काल रोक दिया और मुखिया के घर का घेराव कर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। ग्रामीणों का आरोप है कि स्कूल परिसर में पंचायत भवन बनाए जाने से बच्चों के खेलकूद और शैक्षणिक गतिविधियों में बाधा उत्पन्न हो रही है।
इस मुद्दे को लेकर ग्रामीणों ने पहले भी उच्च अधिकारियों को आवेदन देकर निर्माण कार्य रोकने की मांग की थी। अधिकारियों ने भी इस मामले का संज्ञान लेते हुए अंचलाधिकारी और स्कूल प्रधानाध्यापक को कार्य रुकवाने का आदेश दिया था। लेकिन, ग्रामीणों का दावा है कि अंचलाधिकारी और स्कूल प्रभारी ने मोटी रकम लेकर आदेश की अनदेखी की और निर्माण कार्य जारी रखा।
**ग्रामीणों का आक्रोश फूटा, निर्माण कार्य रोका**
इस पूरे प्रकरण से नाराज ग्रामीण आखिरकार खुद आगे आए और पंचायत भवन के निर्माण कार्य को जबरन रुकवा दिया। विरोध के दौरान ग्रामीणों ने जमकर नारेबाजी की और मुखिया के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए। ग्रामीणों ने कहा कि स्कूल परिसर बच्चों के खेलने और अन्य शैक्षणिक गतिविधियों के लिए है, लेकिन पंचायत भवन बनने से बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल पाएगा।
ग्रामीण रामदेव यादव ने कहा, *”स्कूल के मैदान पर पंचायत भवन बनाना बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। खेलकूद के लिए मैदान नहीं रहेगा, तो बच्चों के शारीरिक विकास पर बुरा असर पड़ेगा।”*
**ठेकेदार और प्रखंड अध्यक्ष पर गंभीर आरोप**
ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि निर्माण कार्य का ठेका जड़ियों का प्रखंड अध्यक्ष विवेकानंद गुप्ता के पास है। इसी वजह से अधिकारी उच्च अधिकारियों के आदेश को नजरअंदाज कर रहे हैं। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि विवेकानंद गुप्ता की राजनीतिक पकड़ के कारण निर्माण कार्य पर रोक नहीं लगाई जा रही है।
ग्रामीणों का कहना है कि जब अधिकारियों को स्कूल परिसर में निर्माण को रोकने का आदेश मिल चुका था, तब उन्होंने काम क्यों नहीं रुकवाया? इससे साफ जाहिर होता है कि पूरे मामले में भ्रष्टाचार हुआ है और मोटी रकम लेकर अधिकारियों ने निर्माण कार्य को जारी रखने दिया।
**मुखिया के घर का घेराव, प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी**
बढ़ते आक्रोश के बीच ग्रामीणों ने पंचायत मुखिया के घर का घेराव भी किया। घंटों तक मुखिया के खिलाफ नारेबाजी होती रही। ग्रामीणों ने प्रशासन और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ भी जमकर विरोध दर्ज कराया।
मुखिया के घर घेराव के दौरान ग्रामीण महिला समूह की सदस्य सुनीता देवी ने कहा, *”हम अपने बच्चों का भविष्य बर्बाद नहीं होने देंगे। स्कूल में बच्चों के खेलने का स्थान है, वहां पंचायत भवन बनाना पूरी तरह गलत है। अधिकारियों और ठेकेदार की मिलीभगत से यह काम हो रहा है।”*
**बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़**
ग्रामीणों ने जोर देकर कहा कि स्कूल के परिसर में बच्चों को खेलकूद के लिए पर्याप्त स्थान मिलना चाहिए। ऐसे में पंचायत भवन निर्माण से बच्चों की पढ़ाई और शारीरिक विकास प्रभावित होगा। विद्यालय के प्रधानाध्यापक से भी जब इस मुद्दे पर सवाल किया गया तो उन्होंने चुप्पी साध ली।
विद्यालय के एक शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, *”बच्चों के लिए खेलकूद अत्यंत आवश्यक है। स्कूल परिसर में अगर पंचायत भवन बनता है, तो इसका सीधा असर छात्रों की गतिविधियों पर पड़ेगा।”*
**प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल**
इस मामले ने प्रशासन की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि जब उच्च अधिकारियों ने निर्माण कार्य रोकने के लिए स्पष्ट आदेश दे दिया था, तो स्थानीय प्रशासन ने इसे क्यों नजरअंदाज किया? क्या सच में पैसे के लेन-देन ने प्रशासन की आंखें बंद कर दी हैं?
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही निर्माण कार्य को स्थायी रूप से बंद नहीं किया गया, तो वे जिला मुख्यालय तक आंदोलन करेंगे। ग्रामीणों की मांग है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
**ठेकेदार विवेकानंद गुप्ता का पक्ष**
जब ठेकेदार और प्रखंड अध्यक्ष विवेकानंद गुप्ता से इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने सभी आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने कहा, *”पंचायत भवन निर्माण की योजना पूरी तरह से वैध है और सभी आवश्यक अनुमतियां ली गई हैं। ग्रामीणों को गुमराह किया जा रहा है।”*
हालांकि, ग्रामीण ठेकेदार की इन दलीलों से संतुष्ट नहीं हैं और उनका कहना है कि जब तक बच्चों के खेल मैदान को बचाने का आश्वासन नहीं दिया जाता, वे निर्माण कार्य को फिर से शुरू नहीं होने देंगे।
**ग्रामीणों की मांगें और भविष्य की रणनीति**
ग्रामीणों ने पंचायत भवन निर्माण के लिए स्कूल परिसर के अलावा किसी अन्य स्थान की मांग की है। उनका कहना है कि पंचायत के पास पर्याप्त भूमि है, जहां यह भवन बनाया जा सकता है। स्कूल के बच्चों के हितों को ध्यान में रखते हुए प्रशासन को वैकल्पिक स्थान पर निर्माण करवाना चाहिए।
ग्रामीण विकास समिति के सदस्य अजय सिंह ने कहा, *”यदि प्रशासन ने हमारी मांगें नहीं मानी, तो हम आंदोलन को और तेज करेंगे। बच्चों के भविष्य से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जाएगा।”*
**प्रशासन की चुप्पी बनी रहस्य**
पूरे मामले में अंचलाधिकारी और स्कूल प्रधानाध्यापक की चुप्पी ने संदेह को और गहरा कर दिया है। ग्रामीणों का आरोप है कि जब उच्च अधिकारी ने निर्माण कार्य रोकने का आदेश दिया था, तब उसे लागू क्यों नहीं किया गया? क्या इसके पीछे कोई बड़ा खेल है?
इस संदर्भ में जिला अधिकारी से भी प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला। अब देखना यह है कि प्रशासन कब तक इस मुद्दे पर ठोस कदम उठाता है।
**निष्कर्ष:**
स्कूल परिसर में पंचायत भवन के निर्माण को लेकर खवासपुर पंचायत में उपजा यह विवाद सिर्फ एक निर्माण कार्य का मुद्दा नहीं है, बल्कि बच्चों के भविष्य, शिक्षा और खेलकूद के अधिकार से जुड़ा हुआ है। ग्रामीणों का विरोध दर्शाता है कि लोग अब अपने हक और अधिकारों के लिए जागरूक हो चुके हैं।
यदि प्रशासन जल्द ही निष्पक्ष जांच कर उचित कार्रवाई नहीं करता है, तो यह विवाद और भी बड़ा रूप ले सकता है। सवाल यह भी है कि क्या प्रशासन जनता की मांग को सुनेगा या फिर पैसे और सत्ता की मिलीभगत से स्कूल के परिसर में पंचायत भवन का निर्माण कार्य चुपचाप पूरा करवा दिया जाएगा?
