भागलपुर के गोराडीह प्रखंड के सारठ डहरपुर पंचायत का लकरा गांव अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। दरअसल मुख्य सड़क से गांव पहुंचने के लिए एक अदद पक्की सड़क तक नहीं है। खेत की पगडंडियों के सहारे एक किलोमीटर तक पैदल सफर तय करना पड़ता है, बीमार पड़ने पर चार लोग चारपाई पर लेकर डॉक्टर के पास जाते हैं। गांव में पीने के पानी के इंतजाम नहीं है, लड़के लड़कियों के शादियों के लिए रिश्ते नहीं आ रहे हैं, शादियां करवाने के लिए कई परेशानियों से होकर गुजरना पड़ता है।

लिहाजा इस गांव में 127 घरों में से अब महज 25 घर बचे हुए हैं। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में लोग गांव से पलायन कर अपने रिश्तेदार या फिर दूसरे गांव में जमीन लेकर बस चुके हैं। 25 घरों में से एक घर पक्का का है बाकी 24 फूस के हैं। यहां के लोग अपने पुरखों के बनाए घरों को 1990 से 2021 तक छोड़ चुके हैं।

गांव में अच्छी सुविधा के नाम पर सिर्फ बिजली है अन्य सुविधा की बात करें तो लोगों का बनाया हुआ ही एक कुआं, दो चापाकल है जिससे लोग पानी पीते हैं। 1970 में स्थापित एक स्कूल है और एक जर्जर सामुदायिक भवन है। गांव के दिनेश पासवान बीमार थे फोन करने पर जब डॉक्टर नहीं पहुंचे तो चारपाई पर टांग चार लोग उन्हें अस्पताल लेकर गए।

दिनेश के भाई ने बताया कि भाई बीमार है। डॉक्टर को फोन किए नहीं आ रहे हैं क्योंकि सड़क नहीं रहने के कारण डॉक्टरों को आने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है इसलिए चारपाई पर लेकर डॉक्टर के यहां जाते हैं।
जनप्रतिनिधियों का इस गांव की और किसी भी तरह का ध्यान नहीं है। विकास के नाम पर सिर्फ और सिर्फ बिजली ही पहुंच सकी है। गांव के बारे में जानने के बाद बेटे बेटियों की शादियां नहीं होती कई शादियां लगने के बाद टूट जाते हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि गांव में सड़क, पानी समेत कोई भी सुविधा नहीं है। हर वर्ष यहां गंगा के जलस्तर बढ़ने के बाद बाढ़ से भी जूझना पड़ता है। लड़के वाले रिश्ते नहीं देते कहते हैं सड़क नहीं है वहां कुछ भी नहीं है।
इस गांव से अब तक कई परिवार अपना घर छोड़कर तो कई परिवार घर बेचकर पलायन कर चुके हैं।

By admin

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