राज्य के प्रारंभिक विद्यालयों में पढ़ने वाले कक्षा एक से आठ तक के छात्रों को शैक्षणिक सत्र 2025-26 की शुरुआत के एक माह बाद भी अब तक पूरी तरह से किताबें नहीं मिल सकी हैं। इससे न केवल बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, बल्कि अभिभावकों की भी चिंता बढ़ती जा रही है। शिक्षा विभाग की योजना थी कि सत्र प्रारंभ होने के एक सप्ताह के भीतर ही सभी बच्चों को पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध करा दी जाएंगी, लेकिन यह लक्ष्य अब तक पूरा नहीं हो पाया है।
राज्य के लगभग 69 हजार स्कूलों में नामांकित 1.11 करोड़ छात्रों को निःशुल्क किताबें वितरित की जानी थीं। अब तक लगभग 84 लाख छात्रों को ही किताबें मिल सकी हैं, जबकि शेष 26 लाख छात्र अब भी प्रतीक्षा कर रहे हैं। शिक्षा विभाग ने पुस्तक वितरण के लिए 50 प्रकाशकों को छपाई और वितरण की जिम्मेदारी सौंपी थी। लेकिन समय पर किताबें प्रखंड स्तर तक नहीं पहुंच सकीं। इसका मुख्य कारण प्रकाशकों द्वारा किताबें देर से भेजना और स्कूलों तक उचित समय पर न पहुंचना बताया जा रहा है।
इसके अतिरिक्त, स्कूलों में आयोजित पुस्तक वितरण कैंप में सभी छात्रों की उपस्थिति सुनिश्चित नहीं हो पाई। मॉनीटरिंग की कमी भी एक बड़ी वजह रही जिससे यह कार्य समय पर पूरा नहीं हो सका। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने 2 मई तक हर हाल में किताबें सभी छात्रों को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। 28 अप्रैल से 2 मई तक विशेष रूप से पाठ्य पुस्तक वितरण समारोह भी आयोजित किए गए, जिनमें छात्रों के अभिभावकों को भी आमंत्रित किया गया। फिर भी किताब वितरण प्रक्रिया अधूरी रह गई।
गौरतलब है कि शैक्षणिक सत्र 2018-19 से 2022-23 तक छात्रों को किताबों के बदले राशि डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से उनके बैंक खातों में दी जाती थी। परंतु 2023-24 से शिक्षा विभाग ने यह व्यवस्था बदल दी और अब बच्चों को सीधे किताबें दी जा रही हैं।
हालांकि इस बदलाव का उद्देश्य सकारात्मक था—बच्चों को समय पर गुणवत्ता पूर्ण पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराना—लेकिन व्यावहारिक क्रियान्वयन में आई समस्याओं ने व्यवस्था की कमजोरी उजागर कर दी है। अब आवश्यकता इस बात की है कि शिक्षा विभाग वितरण प्रक्रिया की नियमित और प्रभावी मॉनीटरिंग करे ताकि भविष्य में ऐसे हालात न उत्पन्न हों। छात्र और उनके अभिभावक उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द से जल्द सभी बच्चों के हाथों में किताबें पहुंचेंगी ताकि उनकी पढ़ाई सुचारू रूप से जारी रह सके।