जम्मू कश्मीर में आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए कानपुर के लघु शस्त्र निर्माणी में बनी जेवीपीसी (ज्वाइंट वेंचर प्रोडक्शन कारबाइन) तैयार है। दिल्ली पुलिस और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के साथ ही पैरा मिलिट्री फोर्सेस ने भी इसमें रुचि दिखायी थी। लघु शस्त्र निर्माणी ने करीब 4500 जेवीपीसी की खेप कई चरणों में पूरी कर दी है जबकि अभी भी करीब पांच हजार जेवीपीसी का निर्माण युद्धस्तर पर जारी है। जेवीपीसी की उपलब्धियों को देखकर माना जा रहा है कि जल्द ही सेना भी इसका आर्डर दे सकती है।

दस हजार कारबाइन बनाने की क्षमता

लघु शस्त्र निर्माणी की क्षमता प्रतिवर्ष दस हजार जेवीपीसी बनाने की है। जानकार बताते हैं कि इसे जरूरत पडऩे पर और बढ़ाया जा सकता है। दिल्ली पुलिस, जम्मू पुलिस के साथ संसद, दिल्ली मेट्रो की सुरक्षा में लगी सीआइएसएफ से करीब दस हजार जेवीपीसी का आर्डर मिली था। इसमें पांच हजार तैयार कर ली गई हैं जबकि शेष का उत्पादन चल रहा है। संभावना जताई जा रही है कि मार्च 2022 तक नए आर्डर मिल सकते हैं लिहाजा अगले दो माह में पूर्व में मिला आर्डर तेजी से पूरा किया जा रहा है।

संयुक्त प्रयास से विकसित की गई जेवीपीसी

लघु शस्त्र निर्माणी (एसएएफ) और एआरडीई पुणे के संयुक्त प्रयास से ज्वाइंट वेंचर प्रोटेक्टिव कारबाइन को विकसित किया गया है। यह देश में विकसित कारबाइन है। विदेश से खरीदी जाने वाली कारबाइन महंगी पड़ती थीं। जेवीपीसी की मारक क्षमता इसे जर्मन और बेल्जियम की कारबाइन से खास बनाती है। इसकी मारक क्षमता 200 मीटर है। वजन तीन किग्रा है इससे जरूरत पडऩे पर एक हाथ से भी फायङ्क्षरग की जा सकती है। इसमें 30 राउंड फायर की स्टील मैग्जीन लगी हुई है, जिससे इसकी फायरिंग दर 800 राउंड प्रति मिनट है। जानकार बताते हैं कि इसकी गोलियां साढ़े तीन एमएम मोटी माइल्ड स्टील प्लेट को 100 मीटर की दूरी से भेद सकती हैं।

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