वैज्ञानिक

भागलपुर की ओर से वित्तीय वर्ष 2025-26 अन्तर्गत शारदीय (खरीफ) फसलों की उन्नत खेती विषय पर सोमवार को दो दिवसीय किसान-वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन पौधा संरक्षण विभाग के उप निदेशक मो. ईस्माइल खान, संयुक्त निदेशक (शष्य) प्रमंडल श्याम बिहारी सिंह, जिला कृषि पदाधिकारी प्रेमशंकर प्रसाद, आत्मा के उप परियोजना निदेशक प्रभात कुमार सिंह, कृषि विज्ञान केंद्र सबौर के वैज्ञानिक ई. पंकज कुमार एवं डॉ. पवन कुमार ने संयुक्त रूप से किया।

राज्यस्तरीय पदाधिकारी मो. ईस्माइल खान ने बताया कि भागलपुर जिला अंतर्गत आठ प्रखंडों की कुल 92 पंचायतों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र घोषित किया गया है। उन्होंने किसानों को फसल क्षति पूर्ति अनुदान योजना की विस्तृत जानकारी दी और बताया कि बाढ़ प्रभावित किसान विभागीय वेबसाइट पर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के दौरान होने वाली सामान्य त्रुटियों के बारे में भी विस्तार से समझाया गया ताकि किसानों को लाभ लेने में कोई कठिनाई न हो।

संयुक्त निदेशक (शष्य) ने किसानों को आत्मा (ATMA) के गठन का मुख्य उद्देश्य बताया और अबतक आत्मा द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि आत्मा का लक्ष्य किसानों को आधुनिक तकनीक, वैज्ञानिक जानकारी और प्रशिक्षण उपलब्ध कराना है ताकि खेती को अधिक लाभकारी बनाया जा सके।

जिला कृषि पदाधिकारी ने किसानों को प्रेरित करते हुए कहा कि वैज्ञानिक संवाद के माध्यम से प्राप्त तकनीकी ज्ञान को अपने-अपने क्षेत्र में लागू कर खेती की लागत कम करनी चाहिए और अधिकतम उत्पादन प्राप्त करना चाहिए। उन्होंने फसलों के विविधीकरण और आधुनिक तकनीकों को अपनाने पर विशेष बल दिया।

कार्यक्रम में किसानों को फूलों की खेती, जैविक कतरनी धान उत्पादन, मशरूम उत्पादन एवं उसके विपणन, संरक्षित सब्जी की खेती तथा पपीता की व्यावसायिक खेती पर विशेष जानकारी दी गई। इसके लिए किसान पाठशालाओं की भूमिका और महत्व भी समझाया गया।

इस अवसर पर अग्रणी किसान उमेश मंडल, रंगराचौक की शीला देवी तथा शाहकुंड के चिभाषचंद्र ठाकुर ने कृषि के अलग-अलग क्षेत्रों में अपने अनुभव साझा किए। किसानों ने बताया कि कैसे नई तकनीकों को अपनाकर उन्होंने उत्पादन बढ़ाया और बाजार से बेहतर मूल्य प्राप्त किया।

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कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों को बदलते जलवायु, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं और बढ़ती लागत के बीच नई तकनीकों से परिचित कराना था, ताकि वे खेती को लाभकारी और स्थायी बना सकें।

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