एक सामान्य सा दिन, एक आम मजदूर का सफर और एक दिल दहला देने वाला हादसा… भागलपुर और बांका जिले की सीमाओं को झकझोर देने वाली इस घटना ने न सिर्फ एक परिवार की खुशियां छीन लीं, बल्कि समाज को भी यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि सड़क पर सुरक्षा आज भी कितनी बड़ी चुनौती है।
घटना की शुरुआत होती है बांका जिले के लक्ष्मीपुर गांव से, जहां के निवासी 55 वर्षीय मोहम्मद गुलाम नबी मेहनत-मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालते थे। वह भागलपुर एक शादी समारोह में शरीक होने आए थे। पूरी खुशी और उत्साह के साथ उन्होंने कार्यक्रम में हिस्सा लिया और देर शाम अपने गांव लौटने के लिए मोटरसाइकिल से रवाना हुए।
लेकिन किसे पता था कि यह उनका आखिरी सफर साबित होगा। जैसे ही वह शाहकुंड चौक के पास पहुंचे, उनकी मोटरसाइकिल का संतुलन अचानक बिगड़ गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, उन्होंने नियंत्रण खोया और सड़क किनारे लगे एक लोहे के पोल से तेज रफ्तार में जा टकराए। टक्कर इतनी भीषण थी कि उनके सिर और छाती में गंभीर चोटें आईं और उन्होंने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
सूचना मिलते ही स्थानीय लोगों की भीड़ मौके पर जमा हो गई। किसी ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। शाहकुंड थाना पुलिस घटनास्थल पर पहुंची, शव को कब्जे में लिया और पोस्टमार्टम के लिए भागलपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेज दिया गया। पुलिस द्वारा प्रारंभिक जांच की जा रही है, और दुर्घटना के सही कारणों का पता लगाया जा रहा है।
गुलाम नबी की मौत से उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। वे परिवार के एकमात्र कमाऊ सदस्य थे। उनके पीछे पत्नी और छह बेटियाँ हैं, जिनमें कुछ नाबालिग हैं और कुछ स्कूल में पढ़ाई कर रही हैं। अब परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
गांव में मातम पसरा है। मोहम्मद गुलाम नबी को एक शांत, ईमानदार और मेहनतकश व्यक्ति के रूप में जाना जाता था। वे हर दिन सुबह मजदूरी के लिए निकलते और देर शाम लौटते थे। उनका सपना था कि उनकी बेटियाँ पढ़-लिखकर एक अच्छा जीवन जिएं। अब वह सपना अधूरा रह गया।
स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से मांग की है कि मृतक के परिवार को सरकार की ओर से मुआवजा और सहायता प्रदान की जाए, ताकि इस त्रासदी से जूझ रहे परिवार को कुछ राहत मिल सके।
एक पड़ोसी ने बताया, “गुलाम भाई हर मुश्किल में दूसरों की मदद करने को तैयार रहते थे। कभी किसी से ऊँची आवाज में बात नहीं की। उनकी मौत हम सभी के लिए निजी नुकसान है।”
इस हादसे ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि सड़क सुरक्षा के नियमों और आधारभूत संरचनाओं में सुधार की सख्त ज़रूरत है। ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों की खराब स्थिति, अपर्याप्त रोशनी और संकेतों की कमी दुर्घटनाओं का कारण बनती जा रही है।
पुलिस प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि जांच पूरी होने के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी यदि कोई लापरवाही पाई गई। साथ ही सड़क किनारे मौजूद पोल और अन्य खतरनाक बाधाओं की भी समीक्षा की जाएगी।
मोहम्मद गुलाम नबी की असमय मौत उनके परिवार के लिए एक ऐसा ज़ख्म है, जो कभी नहीं भर सकेगा। एक मेहनतकश बाप जिसने हर दिन मेहनत करके बेटियों को पालने का बीड़ा उठाया था, आज उस घर में सन्नाटा पसरा है।
सरकार और समाज दोनों की ज़िम्मेदारी है कि ऐसे परिवारों को सहारा दिया जाए। सिर्फ संवेदनाएं नहीं, ठोस कदम उठाकर यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में ऐसा कोई हादसा फिर किसी की दुनिया न उजाड़े।
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