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पटना: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा राजनीतिक कदम उठाते हुए त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के जनप्रतिनिधियों को कई बड़े तोहफे दिए हैं। मुखिया से लेकर जिला परिषद सदस्यों तक सभी के अधिकार और मासिक भत्तों में बढ़ोतरी की गई है। साथ ही नए पंचायत सरकार भवनों के निर्माण को भी मंजूरी दी गई है। इन फैसलों को स्पष्ट रूप से आगामी चुनाव को देखते हुए नाराज मुखियाओं को मनाने की कोशिश माना जा रहा है।

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मनरेगा योजना में मिली अधिक ताकत

मुख्यमंत्री ने पटना स्थित मुख्यमंत्री सचिवालय संवाद भवन में पंचायत प्रतिनिधियों के एक शिष्टमंडल से मुलाकात की। इस दौरान छह अहम फैसले लिए गए। सबसे बड़ा फैसला यह है कि अब ग्राम पंचायतों के मुखिया को मनरेगा योजना के तहत 10 लाख रुपये तक की प्रशासनिक स्वीकृति देने का अधिकार मिल गया है। इससे पहले यह सीमा सिर्फ 5 लाख रुपये थी। इस बदलाव से न केवल मुखिया की भूमिका और जिम्मेदारी बढ़ेगी बल्कि योजना कार्यान्वयन की प्रक्रिया भी तेज होगी।

भत्तों में डेढ़ गुना बढ़ोतरी

मुख्यमंत्री ने पंचायती राज प्रतिनिधियों के मासिक भत्ते में भारी इजाफा करने की घोषणा भी की। इसमें सभी स्तरों के जनप्रतिनिधियों को शामिल किया गया है।

  • जिला परिषद अध्यक्ष का भत्ता 12,000 से बढ़ाकर 18,000 रुपये कर दिया गया।
  • जिला परिषद उपाध्यक्ष को अब 15,000 रुपये मिलेंगे, पहले यह 10,000 था।
  • पंचायत समिति प्रमुख को भी अब 15,000 रुपये मिलेंगे, जो पहले 10,000 था।
  • पंचायत समिति उपप्रमुख का भत्ता 5,000 से बढ़कर 7,500 रुपये कर दिया गया।
  • ग्राम पंचायत मुखिया को अब 3,750 रुपये मासिक भत्ता मिलेगा, पहले यह 2,500 था।
  • ग्राम पंचायत उपमुखिया का भत्ता 1,200 से बढ़कर 1,800 रुपये हो गया।
  • ग्राम कचहरी सरपंच और जिला परिषद सदस्य को भी 3,750 रुपये मिलेंगे।
  • पंचायत समिति सदस्य और ग्राम कचहरी सदस्य (पंच) को क्रमशः 1,500 और 750 रुपये का भत्ता मिलेगा, जो पहले क्रमशः 1,000 और 500 रुपये था।

यह बढ़ोतरी पंचायती राज व्यवस्था को वित्तीय रूप से सशक्त करने की दिशा में एक अहम कदम है।

पंचायत भवनों के निर्माण को मंजूरी

राज्य सरकार ने 1069 नए पंचायत सरकार भवनों की स्वीकृति भी दे दी है। ये भवन आगामी पंचायत चुनाव से पहले तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। इन भवनों का निर्माण ग्राम पंचायतों को सौंपा गया है। यदि मुख्यालय वाले गांव में जमीन उपलब्ध नहीं है, तो पास के गांव में भी निर्माण की अनुमति दी गई है। इन भवनों में पंचायत की सभी प्रशासनिक और जनसेवा से जुड़ी सुविधाएं मौजूद होंगी।

पंचायत प्रतिनिधियों को विशेष सुविधाएं

बैठक में कुछ अन्य महत्वपूर्ण फैसले भी लिए गए जो पंचायत प्रतिनिधियों की सुरक्षा और सुविधा से जुड़े हैं:

  1. शस्त्र अनुज्ञप्ति के आवेदन को अब जिला पदाधिकारी तय समय सीमा में निपटाएंगे।
  2. अब तक पंचायत प्रतिनिधियों को आकस्मिक मृत्यु पर ही 5 लाख रुपये का अनुग्रह अनुदान मिलता था, अब यह सामान्य मृत्यु पर भी मिलेगा
  3. यदि कोई प्रतिनिधि गंभीर बीमारी से ग्रस्त होता है तो उसे मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से इलाज की सुविधा मिलेगी।

इन प्रावधानों से पंचायत प्रतिनिधियों को सामाजिक सुरक्षा की दिशा में बड़ी राहत मिलेगी।

15वें वित्त आयोग की राशि का तेज उपयोग

नीतीश सरकार ने एक और महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए कहा कि त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाएं अब 15 लाख रुपये तक की योजनाओं का कार्यान्वयन विभागीय तौर पर कर सकेंगी। इससे 15वें वित्त आयोग और राज्य वित्त आयोग द्वारा दी गई राशि का उपयोग तेज होगा और विकास कार्यों की गति बढ़ेगी।

महिलाओं की भागीदारी पर विशेष जोर

बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 2006 में पंचायत और 2007 में नगर निकाय चुनावों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया था। नीतीश कुमार ने कहा, “हमने महिलाओं के उत्थान के लिए बहुत काम किया है और आज बड़ी संख्या में महिलाएं प्रतिनिधि बनकर समाज में नेतृत्व कर रही हैं। हम सभी वर्गों के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

क्या बोले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार?

मुख्यमंत्री ने कहा,

“हम पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करने के पक्ष में हैं। हमेशा प्रतिनिधियों से मिलते रहते हैं। बचे हुए पंचायत भवन जल्द बनकर तैयार होंगे। इसका लाभ पंचायत के लोगों को मिलेगा और जनप्रतिनिधियों को समस्याओं के समाधान में सहूलियत मिलेगी।”

कौन-कौन हुआ शामिल?

मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद भवन में हुई इस उच्च स्तरीय बैठक में पंचायत प्रतिनिधियों का एक शिष्टमंडल शामिल हुआ। इसमें शामिल प्रमुख चेहरे थे:

  • जिला परिषद संघ की प्रतिनिधि कृष्णा यादव
  • पंचायत समिति प्रमुख रश्मि कुमारी
  • मुखिया संघ के अध्यक्ष मिथिलेश कुमार राय
  • पंच-सरपंच संघ के अध्यक्ष अमोद कुमार निराला

इन सभी प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी समस्याएं और मांगें रखीं, जिन पर सरकार ने सकारात्मक और त्वरित निर्णय लिए।

निष्कर्ष: चुनाव से पहले सियासी समीकरण साधने की कोशिश

नीतीश कुमार का यह कदम पंचायती राज प्रतिनिधियों को साधने की स्पष्ट कोशिश है। लंबे समय से नाराज मुखिया और पंचायत प्रतिनिधि अपनी मांगों को लेकर सरकार से खफा थे। अब जब चुनाव पास हैं, ऐसे में यह घोषणाएं सियासी समीकरण को साधने और स्थानीय नेतृत्व को अपने पक्ष में करने की कोशिश के रूप में देखी जा रही हैं।

साफ है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पंचायती राज को सशक्त बनाकर आगामी चुनाव में स्थानीय स्तर पर समर्थन मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।

 

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