भागलपुर जिले के जोगसर थाना की पुलिस पर गंभीर आरोप लगे हैं। NSG कमांडो, जो देश की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाते हैं, उनके साथ पुलिस ने बर्बर व्यवहार किया। यह मामला तब सामने आया जब पीड़ित कमांडो ने पुलिस महानिरीक्षक (IG) को आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई। 

पीड़ित कमांडो का आरोप है कि पुलिस ने बिना किसी कसूर के उन्हें सार्वजनिक स्थान पर बेरहमी से पीटा और फिर थाने ले जाकर घंटों तक बुरी तरह प्रताड़ित किया। इतना ही नहीं, बिना किसी प्राथमिकी के उन्हें आठ घंटे तक हाजत में बंद रखा गया। 

इस घटना में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह रही कि जिस पुलिस प्रशासन का काम नागरिकों की सुरक्षा करना है, वही निर्दोष लोगों पर अत्याचार कर रहा है। यह मामला न केवल एक कमांडो के साथ अन्याय है, बल्कि पूरे भारतीय सशस्त्र बलों के सम्मान पर भी हमला है। 

### **घटना का पूरा विवरण** 

NSG कमांडो, जो हाल ही में अपने निजी कार्यक्रम में भाग लेने के लिए घर आए थे, घटना के दिन अपने निजी वाहन से भागलपुर बाजार गए थे। लेकिन वहां बिना किसी कारण के जोगसर थाना पुलिस ने उन्हें रोक लिया। जब उन्होंने विरोध किया तो पुलिस ने सरेआम उनकी पिटाई शुरू कर दी। 

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, पुलिसकर्मियों ने न केवल उन्हें अपमानित किया, बल्कि उन्हें घसीटते हुए थाने तक ले गए। थाने में भी उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। कई पुलिसकर्मियों ने मिलकर उन्हें बेरहमी से पीटा। जब उनका परिवार उन्हें छुड़ाने पहुंचा, तो पुलिस ने एहसान जताते हुए उन्हें PR (पर्सनल रिकग्निजेंस) बॉन्ड पर रिहा कर दिया। 

कमांडो ने जब देखा कि स्थानीय पुलिस से उन्हें न्याय मिलने की कोई उम्मीद नहीं है, तो उन्होंने पुलिस महानिरीक्षक को आवेदन देकर पूरी घटना की जानकारी दी। आवेदन में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि उन्हें न्याय चाहिए और दोषी पुलिसकर्मियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। 

### **कमांडो की मांगें** 

पीड़ित NSG कमांडो ने अपने आवेदन में निम्नलिखित मांगें रखी हैं: 

1. **घटना में शामिल सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए।** 
2. **दोषी पुलिसकर्मियों को तत्काल निलंबित कर उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।** 
3. **इस पूरी घटना की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच कराई जाए।** 
4. **कमांडो के खिलाफ झूठे केस को तुरंत निरस्त किया जाए।** 
5. **पुलिस प्रशासन सार्वजनिक रूप से माफी मांगे।** 
6. **शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के लिए उचित मुआवजा दिया जाए।** 

कमांडो का कहना है कि जिस तरह से उनके साथ पुलिस ने बर्बरता की, वह न केवल एक व्यक्ति के खिलाफ अपराध है, बल्कि पूरे भारतीय सेना और सशस्त्र बलों के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला कृत्य है। 

### **जोगसर थाना की कार्यशैली पर सवाल** 

जोगसर थाना की पुलिस पहले भी कई बार विवादों में रही है। आम जनता का आरोप है कि यह थाना अपराधियों को पकड़ने में नाकाम रहता है, लेकिन निर्दोष नागरिकों और पत्रकारों को झूठे मामलों में फंसाने में माहिर है। 

इससे पहले भी जोगसर थाना के प्रभारी योगेश कुमार पर कई गंभीर आरोप लग चुके हैं। इससे पहले जब वे गोपालपुर और परवत्ता थाने में तैनात थे, तब भी उनके नाम कई विवाद जुड़े थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि उनके कार्यकाल के दौरान पुलिस प्रशासन का रवैया हमेशा कठोर और अन्यायपूर्ण रहा है। 

### **क्या पुलिस प्रशासन वर्दी के नाम पर अत्याचार कर रहा है?** 

यह मामला केवल एक कमांडो पर पुलिस की ज्यादती का नहीं है, बल्कि यह एक बड़ी समस्या को उजागर करता है—वर्दी की आड़ में पुलिस द्वारा किया जाने वाला अन्याय। अगर पुलिस प्रशासन ही कानून को तोड़ने लगे, निर्दोषों को पीटने लगे और झूठे मामलों में फंसाने लगे, तो फिर जनता किससे न्याय की उम्मीद करे? 

इस घटना के बाद आम जनता के बीच भी आक्रोश है। कई सामाजिक संगठनों और पूर्व सैनिक संगठनों ने इस मामले की कड़ी निंदा की है और सरकार से इस पर तत्काल कार्रवाई करने की मांग की है। 

### **न्याय की उम्मीद—क्या कार्रवाई होगी?** 

अब सवाल यह है कि क्या सरकार और पुलिस प्रशासन इस मामले में निष्पक्ष जांच करवाएंगे? क्या दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह धुल-धूसरित हो जाएगा? 

अब यह देखना होगा कि पुलिस महानिरीक्षक इस गंभीर मामले पर क्या कदम उठाते हैं। अगर इस मामले में निष्पक्ष जांच नहीं हुई और दोषियों को सजा नहीं मिली, तो यह कानून व्यवस्था पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न होगा। 

### **निष्कर्ष** 

यह घटना केवल भागलपुर या बिहार की पुलिस व्यवस्था का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह पूरे देश में पुलिस प्रशासन के रवैये पर सवाल खड़ा करता है। NSG कमांडो, जो देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने से भी पीछे नहीं हटते, अगर उनके साथ इस तरह का व्यवहार हो सकता है, तो आम नागरिकों के साथ क्या होता होगा? 

अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या इस मामले में न्याय मिलेगा, या फिर यह भी एक ऐसा मामला बनकर रह जाएगा, जिसे समय के साथ भुला दिया जाएगा।

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