सीबीआई ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले में एक और प्राथमिकी दर्ज की है। हालांकि, दूसरी प्राथमिकी में किसी को नामजद अभियुक्त नहीं बनाया गया है।

इसमें बालिका गृह को संचालित करने वाले एनजीओ सेवा संकल्प एवं समिति के अज्ञात पदाधिकारियों और कर्मियों को दोषी ठहराया गया है।

यह एफआईआर मुजफ्फरपुर के साहू रोड स्थित बालिका गृह से एक मानसिक और शारीरिक रूप से दिव्यांग लड़की के अचानक लापता हो जाने के संबंध में दर्ज की गई है।

केंद्रीय जांच एजेंसी इस लड़की के लापता होने के कारणों की जांच करेगी और इसके लिए सभी दोषियों की पहचान कर कार्रवाई करेगी।

जांच में इस नाबालिग लड़की से जुड़ी कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। लड़की के बारे में बालिका गृह वालों ने बताया कि 10 नवंबर 2015 को उसे उसके पिता राजकुमार पासवान को सुपुर्द कर दिया गया था।

राजकुमार हजारीबाग जिले का रहने वाला है। लड़की को सीतामढ़ी बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष पिता को सुपुर्द किया गया था। इस मामले में राजकुमार पासवान और उनकी पत्नी शीतला देवी के पहचानकर्ता के तौर पर उस पंचायत का मुखिया नाथुनी मुखिया था।

जबकि, जांच में यह हकीकत सामने आई कि संबंधित गांव में राजकुमार पासवान, शीतला देवी और नाथुनी मुखिया नाम का कोई व्यक्ति नहीं है। इस नाम का कोई मुखिया भी नहीं हुआ। पहचान के तौर पर सीडब्ल्यूसी के समक्ष जो वोटर आई-कार्ड प्रस्तुत किए गए थे, वे सभी फर्जी थे।

यहां तक कि जारी आदेश पत्र पर सीतामढ़ी सीडब्ल्यूसी की तत्कालीन अध्यक्ष मानसी सामादार और तत्कालीन सदस्य रेणु कुमारी सिंह के जो हस्ताक्षर थे, वो भी फर्जी थे। इस तरह से लड़की को गायब कर कागज पर दिखा दिया गया था कि उसे माता-पिता को सुपुर्द कर दिया गया है। जबकि उसके माता-पिता के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

2018 में बालिका गृह कांड का हुआ खुलासा

मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड का खुलासा होने के बाद इससे संबंधित एफआईआर मुजफ्फरपुर के महिला थाने में 31 मई, 2018 को दर्ज कराई गई थी। फिर इस मामले को सीबीआई ने 28 जुलाई, 2018 को अपने पास दर्ज करते हुए जांच शुरू की। इसमें 18 दिसंबर, 2018 को चार्जशीट दायर की गई थी।

पहले से सीबीआई इस मामले की जांच कर रही

मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड की जांच पहले से सीबीआई कर रही है। इसमें एनजीओ सेवा संकल्प एवं विकास समिति के मालिक ब्रजेश ठाकुर समेत 21 अन्य लोगों को अभियुक्त बनाया गया। ब्रजेश ठाकुर को इस मामले में दिल्ली न्यायालय से उम्रकैद की सजा भी हो गई है। वैसे मामले की जांच अभी जारी है।

बिहार सरकार ने 23 मार्च को जारी की थी अधिसूचना

लड़की के गायब होने के इस मामले को लेकर बिहार सरकार के गृह विभाग ने सीबीआई से पूरे मामले की जांच समुचित तरीके से कराने से संबंधित अधिसूचना 23 मार्च, 2023 को जारी की थी। इसके मद्देनजर 18 जुलाई, 2023 को केंद्रीय कार्मिक विभाग ने अधिसूचना जारी करते हुए मामले की तफ्तीश की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंप दी।

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