मध्यप्रदेश की सियासत में अभी तक मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के पोस्टर ही शहरों में नजर आते थे। लेकिन ऐसा पहली दफा हो रहा है कि दूसरे नेताओं को भी पोस्टर पर जगह मिल रही है। भोपाल में अमित शाह की अगुवानी के लिए लगे कटआउट में दूसरे नेताओं को भी जगह मिली है। हालांकि अब अमित शाह सीधे इंदौर जा रहे हैं, हालांकि तैयारी वहां पर भी ऐसी ही की गई है। जानिए आखिर क्या है वजह…
भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और देश के गृहमंत्री अमित शाह की सीख फिलहाल मध्यप्रदेश भाजपा को समझ में आने लगी है। यही वजह है कि उनके स्वागत में लगे कटआउट में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के साथ केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, भूपेंद्र यादव, अश्विन वैष्णव और बीएल संतोष जैसे नेताओं को भी जगह मिली है। उससे भी महत्वपूर्ण यह है कि भाजपा कार्यालय के बाहर लगाए गए कटआउट में सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा को लगाया गया है। इसमें प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री दोनों के चेहरों को दूर रखा गया है।
दरअसल, तीन रोज पहले भाजपा की चुनावी तैयारियों की बैठक लेने आए गृहमंत्री अमित शाह ने दूसरे चेहरों को भी तवज्जो देने की बात कही थी। उन्होंने बैठक में दूसरे और स्थानीय नेताओं को भी चुनाव में सक्रिय भूमिका और चेहरे के तौर पर सामने रखने की बात कही थी। इसीलिए अब अपने चुनाव अभियान विजय संकल्प यात्रा में स्थानीय चेहरों को आगे कर रही है।
ब्राहृमणों को संदेश देने जाएंगे जनापाव
चुनावी तैयारियों के क्रम में गृहमंत्री अमित शाह एक महीने के भीतर तीसरी बार रविवार को भोपाल आ रहे थे। यहां पर वह पार्टी के नेताओं से मिलते और पत्रकारों से बात करते। लेकिन अचानक शात को उनका कार्यक्रम निरस्त हो गया और अब वह सीधे इंदौर पहुंच रहे हैं। जहां पर बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन में शामिल होंगे। उसके बाद अमित शाह भगवान परशुराम की जन्मस्थली जनापाव भी जाएंगे, इसको लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। कहा जा रहा है कि मध्यप्रदेश में ब्राहृमणों की नाराजगी को दूर करने के लिए अमित शाह ने परशुराम की जन्मस्थली से राजनीतिक संदेश देने की तैयारी की है। दरअसल, पिछली बैठक में खुद अमित शाह ने सोशल इंजीनियरिंग से लेकर जमीनी सर्वे की रिपोर्ट बड़े नेताओं के साथ साझा की थी।
घोषित होंगे चुनाव प्रबंधन कमेटियां
भाजपा के चुनाव का प्रबंध संभालने के लिए 13 कमेटियों का गठन कर दिया गया है। इसके नाम भी तय हो गए हैं, लेकिन अमित शाह की मंजूरी मिलना बाकी है। मंजूरी के बाद ही इन्हें जारी किया जाएगा। ऐसे में माना जा रहा है कि रविवार को इन नामों की घोषणा हो सकती है। इन समितियों में भी पॉवर बैलेंस बनाने की कोशिश की गई है और इसीलिए इनका बेसब्री से इंतजार हो रहा है कि किसको ज्यादा ताकत मिली और किसका पक्ष कमजोर रहा है।
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