बिहार की खेतों में सेब के पेड़ भी लहलहा रहे हैं। किसानों को फायदा भी हो रहा है। यही कारण है कि कई जिलों के किसानों का रुझान सेब की खेती की ओर बढ़ा है। राज्य के भागलपुर, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, औरंगाबाद, कटिहार, वैशाली, समस्तीपुर, नालंदा, खगड़िया आदि जिलों के कई किसान इसकी खेती कर मोटी कमाई कर रहे हैं।

यहां के किसान हरीमन 99 प्रजाति के सेब की खेती कर रहे हैं। किसानों का रुझान देखकर ही सरकार ने सात जिलों में सेब की खेती के लिए अनुदान शुरू किया है। विशेष उद्यानिकी फसल योजना अंतर्गत सेब का क्षेत्र विस्तार करने के लिए प्रति इकाई लागत पर 50 फीसदी अनुदान दिया जा रहा है। जिन सात जिलों में सेब का रकबा बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है, उनमें औरंगाबाद, कटिहार, वैशाली, समस्तीपुर, भागलपुर, मुजफ्फरपुर और बेगूसराय शामिल हैं। किसानों को प्रति हेक्टेयर पर ढाई लाख रुपये लागत का पचास फीसदी अनुदान दिया जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार गर्म जलवायु वाले प्रदेशों में सूखी दोमट मिट्टी में इसकी पैदावार ठीक होती है।

नवंबर से फरवरी तक पौधे लगाने का सही समय

सेब की खेती के लिए नवंबर से फरवरी तक पौधे लगाने का सही समय होता है। हरीमन 99, एना, डारसेट गोल्डन, माइकल और ट्रिपिकल स्वीट्स जैसी प्रजाति के लिए 40 से 50 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान सही होता है। सेब के पौधे लगाने के दो साल बाद फूल आते हैं। दिसंबर और जनवरी में फूल लगते हैं। मई व जून में फल तैयार हो जाते हैं। यानी दूसरे वर्ष में सेब की फसल से खेती की लागत निकाली जा सकती है। आमतौर पर सेब के पेड़ 25 वर्ष तक फल देते हैं।

सूखी दोमट मिट्टी में पैदावार ठीक हो रही

विशेषज्ञों के अनुसार गर्म जलवायु वाले प्रदेशों में सूखी दोमट मिट्टी में इसकी पैदावार ठीक होती है। सेब की खेती के लिए नवंबर से फरवरी तक पौधे लगाने का सही समय होता है। हरीमन 99, एना, डारसेट गोल्डन, माइकल और ट्रिपिकल स्वीट्स जैसी प्रजाति के लिए 40 से 50 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान सही होता है। सेब के पौधे लगाने के दो साल बाद फूल आते हैं।

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