बिहार के भागलपुर में एक युवक के दांत लोहे जैसे हैं। वह महज 20-22 सेकेंड में ही सूखा नारियल दांतों से छील देता है। इसे देखकर लोग दांतों तले अंगुली दबा लेते हैं। इस हुनर ने उसे लोहा सिंह का नाम दिलाया है।

गुजरे जमाने के ‘लोहा सिंह’ नाटक को सुना है आपने? जी हां, ‘सुना है’ ही पूछ रहे हैं। वर्तमान बुजुर्ग पीढ़ी को लोहा सिंह के नाम के साथ रेडियो पर प्रसारित होने वाले उस नाटक का ‘खदेड़न की मदर’ वाला लोकप्रिय संवाद भी याद आ जाता होगा। आज के दौर में भी एक लोहा सिंह हैं, लेकिन इनका नाटक वाले लोहा सिंह से कोई वास्‍ता नहीं। इस लोहा सिंह का यह नाम उनके दांत से नारियल छीलने के हुनर के कारण पड़ा है। इसे देख दांतों तले अंगुली दबाने वाले लोगों ने भागलपुर के नवग‍छिया स्थित जगतपुर गांव के रहने वाले युवक अंकित का नाम लोहा सिंह रख दिया है।

अंगुली कटी तो दांत से छीलने लगे नारियल

हादसे हार इंसान के जीवन में होते हैं, लेकिन कुछ लोग इनसे घबराते नहीं। वे इसके अनुसार अपने काम करने का तरीके बदल कर सफलता की राह पकड़ लेते हैं। ऐसे ही युवक हैं अंकित। अंकित बताते हैं कि पांच साल पहले एक बार नारियल छीलने के क्रम में दबिया से उनके हाथ की अंगुली कट गई। इसके बाद उन्‍होंने दांतों से ही नारियल छीलने की सेाची। फिर शुरू हुई प्रैक्‍टिस। परेशानी तो बहुत हुई, लेकिन कोशिश रंग लाई। अब अंकित को दांत से नारियल छीलने में मजा आता है।

मां को सताती चिंता, बेटे के टूट न जाएं दांत

अंकित केवल 20-22 सेकंड में आसानी से दांतों से सूखे नारियल को छीलते हैं। इसे देखने वाले लोग दातों तले अंगुली दबाने को मजबूर हो जाते हैं। यह उनका शौक है, लेकिन इससे उनकी मां परेशान हैं। उन्‍हें बेटे के दांत टूट जाने की चिंता सताती रहती है।

बड़े प्‍लेटफार्म पर हुनर दिखाने की है इच्‍छा

अंकित बताते हैं कि मौका मिला तो वे दांतों से नारियल छीलने के इस हुनर को बड़े प्‍लेटफार्म पर दिखाएंगे। हालांकि, अभी तक इसका मौका नहीं मिला है। फिलहाल स्‍नातक की पढ़ाई कर रहे अंकित आगे कोई अच्‍छी सरकारी नौकरी की तलाश में हैं।

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