जिले में अभी डेंगू के बाद टायफाइड और वायरल फीवर के मरीज ज्यादा मिल रहे हैं।

डेंगू संग टायफाइड जहां मरीजों को परेशान कर रहा है तो वहीं चिकित्सकों को हैरान कर रहा है।

चिकित्सकों की मानें तो बुखार में एंटिबायोटिक दवा खाने से भी टायफाइड हो सकता है।

या फिर ये भी हो सकता है डेंगू का डेन-4 वायरस जिन मरीजों में पहुंच रहा है, वे ही टायफाइड के बीमार हो जाते हैं।

मायागंज अस्पताल में हर रोज औसतन 20 से 22 मरीज ऐसे मिल रहे हैं, जिन्हें डेंगू के साथ-साथ टायफाइड होता है।

ऐसे में डॉक्टर अब हर बुखार वाले मरीज की फीवर प्रोफाइल जांच करा रहे हैं।

फीवर प्रोफाइल जांच में डेंगू, मलेरिया, कालाजार, टायफाइड की एक साथ जांच हो जाती है।

छह दिन बाद जांच में मिल रहे हैं टायफाइड

मायागंज अस्पताल के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजकमल चौधरी कहते हैं डेंगू मरीज जांच में जब मिलता है,

उसके पांच से छह दिन बाद उसे फीवर प्रोफाइल जांच में वह डेंगू पॉजिटिव मिला होता है।

बड़ी बात ये है कि जिन मरीजों को डेंगू संग टायफाइड होता है, उनके प्लेटलेट्स में ज्यादा कमी नहीं मिलती है।

इन मरीजों को बुखार होने पर चिकित्सक की सलाह पर दवा का सेवन करना चाहिए

झौआ कोठी निवासी सोनू कुमार डेंगू का शिकार होकर मायागंज अस्पताल में भर्ती हुए।

जांच में वे टायफाइड पीड़ित भी मिले। 19 सितंबर की भोर में अचानक उसकी तबीयत बिगड गईै और सुबह आठ बजे तक उनकी मौत हो जाती है।

जबकि उनका प्लेटलेट्स भी इतना नहीं गिरा था कि उनको रक्तस्राव होने लगे।

तिलकामांझी की अनामिका 27 सितंबर को बुखार होने पर मायागंज अस्पताल पहुंची। फीवर प्रोफाइल जांच में उसे डेंगू संग टायफाइड निकला।

प्लेटलेट्स उसका 59 हजार होता है, लेकिन बीपी लो व सांस लेने में दिक्कत होती है।

वह छह दिन तक मायागंज अस्पताल में चले इलाज के बाद ठीक हो जाती है।

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