पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हालिया हमलों के बाद से देशभर में सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। विशेष रूप से बिहार के सीमावर्ती जिलों में सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा कर दिया गया है। बुधवार को राज्य के विभिन्न जिलों में रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंडों और अन्य भीड़-भाड़ वाली जगहों पर पुलिस ने सघन जांच अभियान चलाया।

सुपौल और अररिया जैसे सीमावर्ती जिलों से लगते इंडो-नेपाल बॉर्डर पर सुरक्षा बलों ने चौकसी बढ़ा दी है। वहां अतिरिक्त जवानों की तैनाती की गई है। उत्तर बिहार में मधुबनी से लेकर पश्चिम चंपारण तक के सीमाई इलाकों में विशेष निगरानी रखी जा रही है। पगडंडियों और छोटे रास्तों पर भी पैनी नजर रखी जा रही है, ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि को तुरंत रोका जा सके।

नेपाल से सटे इलाकों में 24 घंटे सघन गश्ती की जा रही है। सीमा सुरक्षा बल (एसएसबी) ने बॉर्डर से सटे 15 किलोमीटर के दायरे में गांवों और कस्बों में तलाशी अभियान शुरू किया है। एसएसबी यह सुनिश्चित कर रहा है कि कहीं हाल के दिनों में कोई संदिग्ध व्यक्ति तो इलाके में नहीं आया है। सीमा पार आवाजाही केवल वैध पहचान पत्र दिखाने पर ही संभव हो पा रही है।

एसएसबी के कमांडेंट गोविंद सिंह भंडारी और डीसी विवेक ओझा ने बताया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के बाद बॉर्डर को हाई अलर्ट पर रखा गया है। यह अभियान हाल में हुई एक बड़ी कार्रवाई के तहत संचालित किया गया था, जिसमें आतंकियों के नेटवर्क पर करारा प्रहार किया गया।

इसी बीच, राजधानी पटना समेत बिहार के सात प्रमुख शहरों में मॉकड्रिल का आयोजन किया गया। इसमें नागरिक सुरक्षा कोर के 12 हजार स्वयंसेवकों ने भाग लिया। युद्ध जैसी स्थिति से निपटने के इस अभ्यास के दौरान स्वयंसेवकों ने विभिन्न आपातकालीन परिस्थितियों में अपनी भूमिका निभाई।

नागरिक सुरक्षा निदेशालय ने सभी संबंधित जिलाधिकारियों से मॉकड्रिल पर आधारित 12 बिंदुओं की रिपोर्ट मांगी है। सरकार ने 54 वर्षों बाद इस तरह के अभ्यास का आयोजन किया है, ताकि किसी भी आपदा या युद्ध जैसी स्थिति में प्रशासन की तैयारियों का मूल्यांकन किया जा सके। बुधवार को हुए रिहर्सल के दौरान प्रशासन और नागरिक सुरक्षा कोर की तैयारियों की मजबूती और कमजोरियों को परखा गया।

यह समग्र प्रयास आतंकवाद और आपात स्थिति के प्रति प्रशासनिक सतर्कता और जनसहभागिता का परिचायक है, जो भविष्य में सुरक्षा के लिहाज से एक मजबूत नींव तैयार करेगा।

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