खगड़िया जिले के चौथम प्रखंड अंतर्गत मोहनपुर गांव में आयोजित 9 दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा महायज्ञ का समापन बड़े ही भव्य और भावुकता पूर्ण माहौल में हुआ। 2 जनवरी 2025 से प्रारंभ होकर 10 जनवरी 2025 तक चले इस महायज्ञ ने पूरे क्षेत्र को आध्यात्मिक ऊर्जा और भक्तिभाव से भर दिया। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ और गांव के लोगों के उत्साह ने इस आयोजन को और भी खास बना दिया।
महायज्ञ का समापन पारंपरिक रीति-रिवाजों और उत्सव के माहौल में 251 कुमारी कन्याओं के द्वारा कलश विसर्जन के साथ हुआ। कलश यात्रा का आयोजन आयोजन समिति द्वारा किया गया, जिसमें कन्याओं ने चार किलोमीटर लंबी यात्रा तय की और बागमती नदी में विधिवत कलश का विसर्जन किया। यह दृश्य बेहद अद्भुत और भावनात्मक था। नदी के तट पर भक्तों की भीड़ जमा थी और श्रद्धालु मंत्रोच्चारण के बीच इस क्षण को देखकर भावुक हो उठे।
आध्यात्मिक जागरण का केंद्र बना मोहनपुर
इस 9 दिवसीय कथा महायज्ञ में श्रीमद् भागवत कथा के व्यास गद्दी पर विराजमान प्रसिद्ध कथावाचक पूज्य वंदना किशोरी ने श्रीकृष्ण लीला और गीता के उपदेशों का व्याख्यान किया। उनकी मधुर वाणी में भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं, गोवर्धन पूजा, रासलीला, और महाभारत के प्रसंगों का वर्णन सुनकर उपस्थित श्रद्धालु भावविभोर हो गए। कथा में भगवान श्रीकृष्ण के जीवन के आदर्शों और भक्ति के महत्व पर जोर दिया गया।
हर दिन कथा के समापन के बाद भक्तों के लिए भंडारे का आयोजन भी किया गया। हजारों श्रद्धालुओं ने प्रतिदिन प्रसाद ग्रहण किया। यह आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हुआ।
शोभायात्रा का आयोजन
कलश विसर्जन के लिए आयोजित शोभायात्रा में गांव के प्रमुख और सम्मानित व्यक्तियों ने हिस्सा लिया। इस शोभायात्रा का नेतृत्व वार्ड सदस्य ललन कुमार सिंह और उपमुखिया सुरेंद्र कुमार यादव ने किया। इनके साथ उपसरपंच अभिमन्यु सिंह, राजीव सिंह, शिवम सिंह, दिनेश सिंह, मुन्ना सिंह, लाल सिंह और मदन सिंह सहित गांव के अन्य प्रमुख व्यक्ति भी यात्रा में शामिल हुए। शोभायात्रा के दौरान श्रद्धालु भक्ति गीत गाते हुए आगे बढ़ रहे थे। पूरा वातावरण “हरे राम, हरे कृष्ण” और “जय श्रीकृष्ण” के जयकारों से गूंज रहा था।
शोभायात्रा का मुख्य आकर्षण 251 कन्याओं का समूह था, जिन्होंने सिर पर कलश धारण कर यात्रा में भाग लिया। उनके साथ-साथ महिलाएं और बुजुर्ग भी बड़ी संख्या में इस यात्रा का हिस्सा बने। कन्याओं को उपमुखिया सुरेंद्र कुमार यादव के द्वारा एक-एक कलम और कॉपी उपहार स्वरूप भेंट की गई। इस आयोजन में कन्याओं को सम्मान देने का भाव हर किसी के दिल को छू गया।
गांव के लोग और श्रद्धालु हुए भावुक
कलश विसर्जन के दौरान जब भक्त नदी किनारे एकत्र हुए, तो वातावरण पूरी तरह आध्यात्मिक हो गया। मंत्रोच्चारण और भक्ति गीतों के बीच भक्तों ने अपने इष्टदेव भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना की। कई श्रद्धालुओं की आंखों में आंसू आ गए। यह दृश्य इस बात का प्रतीक था कि भगवान की कथा और उनकी भक्ति किस तरह लोगों के हृदय को छू जाती है।
कार्यक्रम के अंतिम दिन पंडित रमेशचंद्र शास्त्री जी ने अपने प्रवचन में सभी को आपसी भाईचारे और भक्ति में लीन रहने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि भागवत कथा केवल भगवान की कहानियों का संग्रह नहीं है, बल्कि यह जीवन को सही दिशा देने वाली शिक्षाओं का भंडार है। उन्होंने कहा, “भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में जो उपदेश दिए हैं, वे आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने तब थे। उनके संदेश हमें सही राह पर चलने और धर्म के मार्ग पर अडिग रहने की प्रेरणा देते हैं।”
समाज में जागरूकता का संदेश
महायज्ञ का यह आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक जागरूकता का भी प्रतीक था। इस दौरान कन्या पूजन और उन्हें सम्मानित करने के साथ-साथ समाज में बेटियों के महत्व को रेखांकित किया गया। उपमुखिया सुरेंद्र कुमार यादव ने इस अवसर पर कहा, “आज समाज में बेटियों का सम्मान करना सबसे बड़ी आवश्यकता है। यह कलश यात्रा और कन्या पूजन इस बात का प्रतीक है कि हम बेटियों को सम्मान दें और उन्हें शिक्षित करें।”
आयोजन के दौरान पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया गया। शोभायात्रा में शामिल लोगों को प्लास्टिक का उपयोग न करने और स्वच्छता बनाए रखने का आग्रह किया गया।
सामाजिक समरसता का उदाहरण
मोहनपुर गांव में आयोजित इस 9 दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा महायज्ञ ने सामाजिक समरसता का भी अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। गांव के सभी वर्गों के लोगों ने इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। आयोजन समिति ने यह सुनिश्चित किया कि इस आयोजन में हर कोई शामिल हो और इसे सफल बनाने में योगदान दे।
कार्यक्रम के दौरान गांव के युवाओं ने यातायात व्यवस्था और सुरक्षा का जिम्मा संभाला। महिलाओं ने भंडारे की व्यवस्था में सहयोग किया, जबकि बुजुर्गों ने कथा सुनने और अन्य श्रद्धालुओं को प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
समापन के बाद भी यादें बनी रहेंगी ताजा
महायज्ञ के समापन के बाद गांव के लोगों और श्रद्धालुओं के दिलों में इसकी मधुर यादें हमेशा बनी रहेंगी। यह आयोजन न केवल भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति का प्रतीक था, बल्कि यह एक ऐसा अवसर भी था जिसने गांव के लोगों को एकजुट किया और उन्हें सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से जोड़ने का काम किया।
महायज्ञ के इस पवित्र आयोजन ने मोहनपुर को आध्यात्मिक चेतना का केंद्र बना दिया। श्रद्धालुओं के लिए यह आयोजन एक अद्भुत अनुभव था, जिसने उन्हें धर्म और भक्ति की राह पर चलने की प्रेरणा दी। इस आयोजन के साथ ही गांव के लोग अगले वर्ष के लिए भी इस प्रकार के धार्मिक आयोजनों की तैयारी करने के लिए उत्सुक नजर आए।
निष्कर्ष
9 दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा महायज्ञ का समापन भावनात्मक और प्रेरणादायक रहा। यह आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हुआ। यह महायज्ञ हमें धर्म, भक्ति, और आपसी भाईचारे का संदेश देकर गया। मोहनपुर गांव के लिए यह आयोजन एक ऐसी स्मृति बन गया, जिसे आने वाले समय में भी लोग याद करेंगे।