सहरसा के सर्वनारायण सिंह रामकुमार सिंह कॉलेज के दर्जनों छात्र-छात्राओं ने शुक्रवार की शाम सदर थाना पहुंचकर कॉलेज के प्राचार्य पर बदसलूकी और अभद्र व्यवहार का आरोप लगाया। छात्रों ने यह भी कहा कि कॉलेज प्रशासन उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करने पर आमादा है। छात्रों के इन आरोपों को लेकर कॉलेज प्रशासन ने इनको बेबुनियाद बताते हुए पूरी घटना से इंकार किया है।

इस मामले में छात्रा खुशी कुमारी ने बताया कि वे 2023-2027 सत्र के सभी स्टूडेंट्स हैं। खुशी कुमारी ने कहा कि महाविद्यालय द्वारा सिया परीक्षा में उपस्थिति प्रमाण पत्र नहीं दिया जा रहा है और स्नातक तृतीय सेमेस्टर में नामांकन भी नहीं लिया जा रहा है। यह स्थिति उन छात्रों के लिए और भी गंभीर हो गई है जिन्होंने स्नातक फर्स्ट सेमेस्टर में नामांकन कराया था। इन छात्रों की संख्या 500 से अधिक बताई जा रही है। इन छात्रों का कहना है कि उन्हें प्रमोट कर दिया गया था, लेकिन कॉलेज प्रशासन द्वारा उन पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

छात्रों ने आरोप लगाया कि कॉलेज में 30 मार्क्स की वजह से दो बार सीआईए (Contemporary Internal Assessment) फार्म भरवाने के बाद उनसे ₹1500 दो-दो बार लिए गए। इसके बाद भी, जब सभी 500 से अधिक छात्र-छात्राओं ने सीआईए परीक्षा में सभी विषयों में उपस्थिति दी, तो कॉलेज ने उन्हें कोई प्रमाण पत्र नहीं दिया और न ही उपस्थिति डायरी में उनके नाम दर्ज किए गए। छात्रों ने यह भी आरोप लगाया कि जब वे इस मामले को लेकर कॉलेज प्रशासन से शिकायत करने गए, तो उन्हें यह कहकर धमकी दी गई कि उन्हें कॉलेज से निष्कासित कर दिया जाएगा।

आरोपों का जवाब: प्राचार्य का पक्ष

कॉलेज के प्राचार्य ने इन आरोपों को सिरे से नकारते हुए इसे बेबुनियाद बताया है। प्राचार्य का कहना है कि कॉलेज प्रशासन हमेशा छात्रों के भले के लिए काम कर रहा है और किसी भी छात्र के साथ अभद्र व्यवहार नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि सीआईए परीक्षा और नामांकन प्रक्रिया को लेकर कुछ तकनीकी समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन इन समस्याओं को जल्दी हल किया जाएगा। प्राचार्य ने कहा कि छात्रों द्वारा लगाए गए आरोप पूरी तरह से निराधार हैं और वे किसी भी तरह की बदनामी से कॉलेज के प्रतिष्ठान को नुकसान नहीं पहुंचने देंगे।

छात्राओं का गुस्सा और कॉलेज प्रशासन के खिलाफ आरोप

छात्राओं ने यह भी आरोप लगाया कि जब वे प्राचार्य से अपनी समस्याओं को लेकर शिकायत करती थीं, तो उनका जवाब हमेशा वही होता था कि “आप लोग फालतू शिकायत कर रहे हैं” और इसके बाद उन्हें निष्कासित करने की धमकी दी जाती थी। इस स्थिति को लेकर छात्र-छात्राएं खासे परेशान हैं। वे यह महसूस करते हैं कि उनका भविष्य दांव पर है, और कॉलेज प्रशासन इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। छात्राओं का कहना है कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान जल्द नहीं हुआ, तो वे उग्र प्रदर्शन करने पर मजबूर हो सकते हैं।

कॉलेज के प्रति असंतोष और संघर्ष

सर्वनारायण सिंह रामकुमार सिंह कॉलेज में इस तरह के आरोपों के बाद छात्रों के बीच असंतोष की स्थिति बन गई है। छात्रों का मानना है कि कॉलेज प्रशासन को छात्रों की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए और उनका हल जल्दी करना चाहिए, ताकि छात्रों का शैक्षिक करियर प्रभावित न हो। वहीं, छात्रों के बीच यह भी चर्चा हो रही है कि अगर प्राचार्य द्वारा उनकी शिकायतों का समाधान नहीं किया जाता है, तो वे इसे एक बड़ा आंदोलन बना सकते हैं और कॉलेज प्रशासन के खिलाफ सख्त कदम उठा सकते हैं।

कई छात्र-छात्राओं ने यह भी कहा कि अगर समय रहते उनके समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो वे अपनी बात को मीडिया और अधिकारियों तक पहुंचाने का भी प्रयास करेंगे। वे यह चाहते हैं कि कॉलेज प्रशासन अपने व्यवहार में सुधार करे और छात्रों के साथ आदर और सम्मान के साथ पेश आए।

आखिरकार क्या होगा?

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कॉलेज प्रशासन इस मामले में किस तरह से प्रतिक्रिया देता है। क्या वे छात्रों की शिकायतों को गंभीरता से लेंगे और समाधान के लिए ठोस कदम उठाएंगे? या फिर छात्रों के आरोपों को नजरअंदाज करते हुए इस विवाद को और बढ़ने देंगे? छात्रों के गुस्से और असंतोष को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि अगर जल्द समाधान नहीं हुआ तो यह मामला और भी गंभीर रूप ले सकता है।

सम्भवत: कॉलेज प्रशासन और छात्रों के बीच संवाद और समझदारी के साथ इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। अगर दोनों पक्ष आपस में मिलकर काम करें तो छात्रों की शैक्षिक स्थिति सुधर सकती है और कॉलेज का वातावरण भी सकारात्मक बन सकता है।

सहरसा के इस कॉलेज में छात्र-छात्राओं की आवाज़ को सुनने की जरूरत है ताकि वे अपनी शिक्षा को सही तरीके से प्राप्त कर सकें और उनके भविष्य को उज्जवल बनाया जा सके।

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