हिंदू संगठनों ने आज (मंगलवार को) दिल्ली में स्थित कुतुब मीनार के परिसर के अंदर हनुमान चालीसा का पाठ किया. हिंदू संगठनों ने मांग की है कि कुतुब मीनार का नाम बदलकर विष्णु स्तंभ किया जाए.

बता दें कि यूनाइटेड हिंदू फ्रंट की तरफ से कुतुब मीनार का नाम विष्णु स्तंभ रखने की अपील की गई है. यूनाइटेड हिंदू फ्रंट कहना है कि कुतुब मीनार वास्तव में विष्णु स्तंभ है. इस मीनार का निर्माण 27 जैन और हिंदू मंदिरों को ध्वस्त करके किया गया था.

जान लें कि कुतुब मीनार परिसर में लगी जैन और हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों का जीर्णोंद्धार करके सम्मान सहित स्थापित करने और हिंदुओं को यहां पूजा की अनुमति देने की मांग को लेकर यूनाइटेड हिंदू फ्रंट द्वारा विष्णु स्तंभ चलने का आह्वान और परिसर में हनुमान चालीसा का पाठ साधु-संतों की मौजूदगी में किया गया. इस मौके पर यूनाइटेड हिंदू फ्रंट के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और राष्ट्रवादी शिव सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयभगवान गोयल भी मौजूद रहे.

इससे पहले दिल्ली की एक अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को अगले आदेश तक कुतुब मीनार परिसर से भगवान गणेश की दो मूर्तियों को नहीं हटाने का आदेश दिए था. एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज निखिल चोपड़ा ने अपने आदेश में कहा,‘निर्देश दिया जाता है कि सुनवाई की अगली तारीख तक यथास्थिति बनाई रखी जाए.’

जज ने कहा,‘हालांकि वह एएसआई की इस बात से प्रभावित हैं कि वे इस चरण में मूर्तियों को हटाने पर विचार नहीं कर रहे हैं. एएसआई के वकील ने कहा है कि उसके पास इस बात के कोई निर्देश नहीं हैं कि क्या निकट भविष्य में इन मूर्तियों को हटाए जाने की कोई संभावना है या नहीं. ऐसे में याचिकाकर्ता की चिंता कि एएसआई इन मूर्तियों को एक राष्ट्रीय संग्रहालय में भेज सकता है कि अनदेखी नहीं की जा सकती.’

कोर्ट ने वकील हरि शंकर जैन की तरफ से जैन भगवान तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव की ओर से दायर याचिका पर यह आदेश दिया. याचिका में दावा किया गया है कि कुतुबुद्दीन ऐबक ने 27 मंदिर आंशिक तौर पर ध्वस्त किए थे और उसी मलबे से परिसर के अंदर कुवातुल इस्लाम मस्जिद का निर्माण कराया था.

वकील हरि शंकर जैन ने कहा कि प्राचीन काल से परिसर में भगवान गणेश की दो मूर्तियां हैं और उन्हें आशंका है कि एएसआई उन्हें केवल कलाकृतियां मानते हुए किसी राष्ट्रीय संग्रहालय में भेज सकती है. वहीं, एएसआई ने इस याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि याचिकाकर्ता की आशंकाएं निराधार हैं क्योंकि एएसआई फिलहाल मूर्तियों को कहीं भी हटाने या स्थानांतरित करने पर विचार नहीं कर रहा है.

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