बिहार में जातीय गणना के बाद अब महाराष्ट्र में भी इसकी मांग उठने लगी है। वहां के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने बिहार की तर्ज पर महाराष्ट्र में भी जाति-आधारित सर्वेक्षण की वकालत की है।

पवार ने कहा कि उन्होंने और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस संबंध में बात भी की है। उनसे बिहार में जाति सर्वेक्षण का विवरण उपलब्ध कराने को कहा है। उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि सर्वेक्षण कराया जाए, भले ही इसमें राज्य को कुछ हजार करोड़ रुपए खर्च करने पड़े।

क्योंकि इससे अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यकों की सटीक आबादी की स्पष्ट तस्वीर देने में मदद मिलेगी। महाराष्ट्र के सोलापुर में एक सार्वजनिक सभा में पवार ने कहा कि मेरी राय है कि यहां जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए।

बिहार ने इसे पूरा किया है। इससे हमें स्पष्ट रूप से पता चल जाएगा कि यहां ओबीसी, एससी, एसटी, अल्पसंख्यकों, सामान्य वर्ग आदि की आबादी का अनुपात किया है?

उन्हें आबादी के अनुसार क्या लाभ मिल रहा है?

बता दें कि बिहार सरकार ने 2 अक्टूबर को अपने जाति सर्वेक्षण के नतीजे जारी किए हैं।

जिसमें विभिन्न जाति समूहों और समुदायों की जनसंख्या विभाजन का विवरण दिया गया।

कई राज्य कर चुके हैं मांग

बिहार में जातीय गणना की रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में इसकी मांग उठने लगी है।

कांग्रेस शासित राज्यों कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सरकार ने जातीय सर्वेक्षण की घोषणा की है।

आप सुप्रीमो केजरीवाल ने पूरे देश में कराने की मांग की है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी उत्तर प्रदेश में जातीय सर्वेक्षण की मांग उठाई है।

यही नहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी सरकार बनने पर देश में जातीय गणना कराने की घोषणा की है।

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