देश में आगामी कुछ महीनों में लोकसभा चुनाव होने का एलान किया जा सकता है। हालांकि, फिलहाल थोड़ा वक्त है। लेकिन,बाबजूद इसके देश समेतसभी राज्यों की प्रमुख पार्टियों अभी से ही अपने वोट बैंक को साधने में जुट गई है। नहीं पता है कि बिहार की सत्तारूढ़ दल राजद और जदयू में अपने वोट बैंक को साधने के लिए अल्पसंख्यकों को बड़ा उपहार देने का फैसला किया है।

दरअसल, अल्पसंख्यक समुदाय के लोग आगामी 28 सितंबर को ईद मिलादुनबी मानने जा रहे हैं। ऐसे में इस पर्व से पहले इस समाज और नीतीश और तेजस्वी ने बड़ा उपहार दिया है। नीतीश कुमार की कैबिनेट ने अल्पसंख्यक उद्यमी योजना की मंजूरी दी है। सरकार ने इस योजना के तहत 100 करोड़ रुपए खर्च करने का विचार किया है।

वहीं, नीतीश कैबिनेट के इस फैसले को राजद और महागठबंधन सरकार की चुनावी रणनीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है। बिहार की सबसे बड़ी पार्टी राजद अच्छी तरह जानती है कि उनके कैडर वोट MY समीकरण के ही लोग है।

ऐसे में इन समाज को लोकसभा चुनाव से पहले अगर कोई बड़ा उपहार नहीं दिया जाता है तो फिर तस्वीर समेत पूरे महागठबंधन को उनकी नाराजी झेलनी पड़ सकती है। यही वजह है कि लोकसभा चुनाव के समय नजदीक आते हैं अपने सरकार अपना पिटारा खोलने शुरू कर चुकी है और इनसे निकलने वाली चीजों को लेकर तेजस्वी यादव से भी विचार विमर्श किया जा रहा। यही वजह रही कि मंगलवार के जगह सोमवार को कैबिनेट की बैठक बुलाई गई और यह निर्णय लिया गया।

आपको बताते चलें कि बिहार में तकरीबन 17% मुसलमान वोटर हैं और बिहार की 243 सीटों में से तकरीबन 60 ऐसी सिम हैं जहां मुस्लिम वोटो का रोल होता है। हालांकि बिहार विधानसभा मुस्लिम प्रतिनिधि की बात करें तो 2015 में 24 उम्मीदवार जीत कर है 2010 विधानसभा चुनाव में 19 मुस्लिम उम्मीदवार ने विजय हासिल की तो वही 2005 के चुनाव में 16 मुस्लिम उम्मीदवारों को जीत मिली।

वहीं लोकसभा की बात करें तो 9 लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता की संख्या 20% अधिक है। ऐसे में राज के कई लोकसभा सीटों पर अल्पसंख्यक वाटर निर्णायक भूमिका में होते हैं उनके वोट के आधार पर ही उम्मीदवारों के भाग का फैसला होता है ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियों या गठबंधन मुस्लिम वोट के समर्थन के लिए दिन-रात एक करती है।

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