कहते हैं न कि एक एक मिलकर ग्यारह हो जाता है. कुछ ऐसी ही ताकत का परिचय दिया है कि इन दोनों सास बहू ने. कटिहार जिले की रहने वाली सास बहू ने लंबे समय से चली आ रही उस परंपरा को बदल दिया जिसमें यह कहा जाता है कि सास बहू में नहीं बनती है. हालांकि इन दोनों यानी की सास बहू ने मिलकर एक मिसाल कायम किया है. इन दोनों ने ऐसा व्यवसाय शुरू किया जिसका ग्रामीण इलाके में लोग मिसाल दे रहे हैं.

बता दें कि इन दोनों ने मिलकर बटेर का पालन शुरू किया. बता दें कि बटेर के पक्षियों की प्रजाती है और इसके मांस का इस्तेमाल भोजन के रूप में किया जाता है. जिस तरह से लोग मुर्गा का इस्तेमाल करते हैं. बटेर का मांस स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है. कहा जाता है कि ठंड के दिनों में यह काफी लाभदायक होता है. यह शरीर को गर्म रखता है. पिछले कुछ दिनों में बटेर खाने वालों की संख्या में वृद्धि हुई है. कटिहार की रहने वाली इन दोनों सास बहू सास का नाम जुबेदा खातुन और बहू का नाम शहजादी खातून ने बटेर के पालन की शुरुआत की.

जुबेदा के बेटे और शहजादी के पति नूरूद्दीन ने इस व्यवसाय को कही देखा था उसके बाद वे घर में इसका पालन करना शुरू कर दिये. धीर-धीरे कर यह व्यवसाय बड़ा हो गया. इसके बाद सास-बहू ने मिलकर एक बटेर फॉर्म ही बना दिया. शहजादी को अभी भी उम्मीद है कि लोग उस तरह के इसका व्यापार नहीं बढ़ा है जिस तरह से बढ़ना चाहिए. शहजादी के इस व्यापार से आगे बहुत उम्मीद है. इस रोजगार को जीविका दीदी समूह का खुब साथ मिला है. जीविका प्रमुख कहती है कि निश्चित तौर पर ग्रामीण रोजगार की दिशा में बटेर पालन आने वाले दिनों के लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है.

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