दसवीं कक्षा से छात्रों के ड्रॉप आउट को रोकने के लिए पूरे प्रदेश में मिशन दक्ष चलाया जाएगा। इसमें कमजोर बच्चों को शैक्षिक रूप से न केवल सशक्त बनाया जाएगा बल्कि उन्हें परीक्षा में उत्तीर्णता को योग्य भी बनाया जाएगा।
शिक्षा विभाग ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है। पूरे प्रदेश में स्कूलों से छीजन को रोकने के लिए पहली दिसंबर से मिशन दक्ष शुरू हो जाएगा।
इस अभियान की कोई समय सीमा नहीं होगी, बल्कि यह मिशन का ध्येय पूरा होने तक जारी रहेगा। किसी स्तर पर मिशन की असफलता से प्रधानाध्यापक व शिक्षकों पर गाज भी गिरेगी।
शिक्षा विभाग के अनुसार यह अभियान तीन चरणों में संचालित होगा।
इसमें तीसरी कक्षा से आठवीं कक्षा तक के 25 लाख बच्चे शामिल होंगे। ये ऐसे बच्चे हैं जिन्हे साक्षर भी नहीं कहा जा सकता है। इन्हें योग्य बनाने की जिम्मेवारी 5 लाख शिक्षकों को सौंपी जाएगी। प्रत्येक शिक्षक 5-5 बच्चों के लिए विशेष कक्षा लेंगे और उन्हें अतिरिक्त समय में पढ़ाएंगे।
विभाग ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि किसी सूरत में बच्चों को झुंड में नहीं पढ़ाया जाए।
एक शिक्षक अधिकतम 5 बच्चों को ही पढ़ाएंगे। इस मिशन में टोला सेवकों को बी सेवा ली जाएगी।
दरअसल, पिछले दिनों जातीय सर्वे के दौरान यह बात सामने आयी है कि जैसे-जैसे कक्षा का स्तर बढ़ता जाता है राज्य के ड्राप आउट की दर भी बढ़ती जाती है। इसके पहले भी यह बात सामने आयी कि स्कूलों में प्रत्येक कक्षा में तीन कैटेगरी के बच्चे हैं। इनमें एक तो मेधावी हैं, दूसरे औसत हैं जबकि तीसरी कैटेगरी में बहुत ही कमजोर बच्चे है। ये पढ़ाई में इतने कमजोर होते हैं कि इन्हें साक्षर भी नहीं कहा जा सकता है। ये छात्र 10 वीं की बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाते हैं और ड्राप आउट हो जाते हैं। राज्य का ड्राप आउट दर इस स्तर पर बहुत ज्यादा है। इस कारण राष्ट्रीय स्तर पर राज्य की स्थिति बेहद खराब है। यही नहीं इस वजह से राज्य की रैंकिंग भी गिर जाती है। इन्हीं बातों को देखते हुए शिक्षा विभाग ने ऐसे कमजोर बच्चों के लिए मिशन दक्ष प्रारंभ किया है।
जिम्मेवारी भी तय होगी कार्रवाई
इस मिशन की सफलता या असफलता के लिए सभी प्रारंभिक, माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को जिम्मेवार माना जाएगा। परीक्षा में यदि ये बच्चे असफल होते हैं तो संबंधित प्रधानाध्यापक और संबंधित शिक्षकों पर कार्रवाई होगी।
तीन चरणों में चलेगा अभियान, कमजोर बच्चे होंगे चिह्नित
अभियान तीन चरणों में संचालित होगा। पहले चरण में कक्षा 3 से 8 के ऐसे बच्चे चिह्नित होंगे जो पढ़ाई में बेहद कमजोर हैं। यह कार्य 30 नवंबर तक पूरा कर लिया जाएगा।
इसमें हिंदी के शब्द-वाक्य लगातार नहीं पढ़ सकने वाले और मौलिक गणित करने में असक्षम बच्चों को शामिल किया जाएगा।
दूसरे चरण में उन्हें शिक्षक विशेष कक्षा के माध्यम से पढ़ाएंगे। इन्हें 3 बजे के बाद या फिर भोजन अवधि के बाद इनकी विशेष कक्षाएं होंगी।
एक शिक्षक 5 बच्चों के समूह को पढ़ाएंगे। टोला सेवकों की बी सेवा ली जाएगी। सभी विद्यालयों से एक टोला सेवक अवश्य टैग होगा।
तीसरे चरण में उन्हें विशेष परीक्षा में शामिल किया जाएगा। वार्षिक परीक्षा 20 मार्च 2024 से 31 मार्च 2024 तक होनी है। इसमें ये 25 लाख बच्चे भी शामिल होंगे।
इसके बाद इन सभी 25 लाख बच्चों को अप्रैल 2024 में या गर्मी की छुट्टी में परीक्षा होगी।