बिहार में शिक्षा विभाग द्वारा एक बड़ा कदम उठाते हुए BPSC शिक्षक भर्ती परीक्षा (TRE) के पहले और दूसरे चरण के अंतर्गत चयनित 11,801 महिला शिक्षिकाओं का अंतर-जिला स्थानांतरण कर दिया गया है। यह ट्रांसफर शिक्षक आवेदिकाओं द्वारा आवेदन में बताई गई दूरी के आधार पर किया गया है। खास बात यह है कि इस बार विभाग ने स्थानांतरण की कोई सार्वजनिक सूची जारी नहीं की है, बल्कि शिक्षिकाओं को व्यक्तिगत रूप से उनके ई-शिक्षाकोष पोर्टल और पंजीकृत मोबाइल नंबर के माध्यम से सूचना दी गई है।
शिक्षा विभाग ने यह पूरी प्रक्रिया सोमवार मध्य रात्रि तक पूरी कर ली थी। इसमें TRE-1 के तहत 5,630 और TRE-2 के अंतर्गत 6,167 शिक्षिकाओं का ट्रांसफर किया गया है। वहीं, 4 आवेदन ऐसे रहे जो निष्क्रिय माने गए। यह निर्णय विभाग द्वारा पारदर्शिता और व्यक्तिगत गोपनीयता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि अब से ट्रांसफर की सूची सार्वजनिक नहीं की जाएगी। विभाग का मानना है कि यह प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और गोपनीय होगी, जिससे शिक्षकों की व्यक्तिगत जानकारी का गलत उपयोग न हो। इसी नीति के तहत, इस बार सभी 11,801 शिक्षिकाओं को उनके पोर्टल और SMS के माध्यम से ही स्थानांतरण की जानकारी दी गई है। हालांकि, अभी तक शिक्षकों को केवल जिला आवंटित किया गया है, स्कूलों का आवंटन शेष है।
वहीं, इस फैसले पर बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष दीपांकर गौरव ने विभाग के कदम का स्वागत करते हुए कहा कि अब विभाग को पुरुष शिक्षकों के ट्रांसफर पर भी जल्द निर्णय लेना चाहिए। उन्होंने कहा, “महिला शिक्षकों के लिए स्थानांतरण प्रक्रिया पूरी हो गई है, लेकिन पुरुष शिक्षकों के मामले में अब तक कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं जारी किया गया है। यह भेदभावपूर्ण रवैया है और इसे जल्द सुधारा जाना चाहिए।”
दीपांकर गौरव ने यह भी बताया कि ट्रांसफर प्रक्रिया को लेकर शिक्षिकाओं से कई शिकायतें सामने आई हैं। उन्होंने कहा, “मेरे पास शिकायत आ रही है कि कुछ ऐसी शिक्षिकाओं का ट्रांसफर नहीं हुआ है जिनकी स्कूल और घर के बीच की दूरी अधिक है, जबकि कुछ ऐसी शिक्षिकाओं का ट्रांसफर कर दिया गया है जिनकी दूरी कम है। ऐसे में यह स्पष्ट होना जरूरी है कि इस बार के ट्रांसफर में विभाग ने कौन से मापदंड अपनाए हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि विभाग ने मार्च तक ट्रांसफर प्रक्रिया पूरी करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब जाकर सिर्फ जिला आवंटित किया गया है। अभी तक शिक्षिकाओं को स्कूल अलॉट नहीं किया गया है, जिससे असमंजस की स्थिति बनी हुई है। उन्होंने विभाग से अपील की कि जल्द से जल्द स्कूल आवंटन की प्रक्रिया भी पूरी की जाए ताकि शिक्षिकाएं अपनी नई जगह पर समय से योगदान कर सकें।
इस पूरी प्रक्रिया ने एक बार फिर बिहार में शिक्षक स्थानांतरण नीति की पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर बहस छेड़ दी है। जहां एक ओर विभाग इसे एक गोपनीय और व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा से जुड़ा कदम बता रहा है, वहीं दूसरी ओर शिक्षक संघ और प्रभावित शिक्षिकाएं इसकी प्रक्रिया को लेकर असंतुष्ट नजर आ रही हैं।
अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि पुरुष शिक्षकों के लिए विभाग कब और कैसे स्थानांतरण नीति को लागू करता है, और साथ ही महिला शिक्षिकाओं को स्कूलों का आवंटन कब तक किया जाता है।
विभाग का यह निर्णय राज्य में शिक्षा व्यवस्था को कितना प्रभावित करेगा और इससे शिक्षकों की कार्य संतुष्टि में कितना बदलाव आएगा, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट हो पाएगा।
