नीतीश कुमार कैबिनेट से जीतन राम मांझी के बेटे संतोष मांझी ने एससी-एसटी कल्याण मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है। संतोष मांझी ने अपना इस्तीफा संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी को सौंप दिया है।
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले जहां एक तरफ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने में लगे हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ उन्हीं के राज्य बिहार की पॉलिटिक्स में उठापटक तेज हो गई है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के नेता जीतन राम मांझी के बेटे संतोष मांझी ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। संतोष मांझी नीतीश कैबिनेट में अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण मंत्री थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक संतोष मांझी ने अपना इस्तीफा संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी को सौंप दिया है। इस्तीफा देने के बाद संतोष मांझी ने आरोप लगाया है कि नीतीश कुमार हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा का जनता दल (यूनाइटेड) में विलय चाहते थे। लेकिन हमें यह मंजूर नहीं था। संतोष सुमन ने कहा, हम बीजेपी के साथ जाएंगे या नहीं ये अलग बात है। हम तो अपना अस्तित्व बचा रहे हैं। नीतीश कुमार हमारा अस्तित्व खत्म करना चाह रहे हैं। हम नीतीश कुमार के लिए अपनी पार्टी कैसे तोड़ दें। अभी हम महागठबंधन में हैं। कोशिश करेंगे कि उसी में रहें, लेकिन अगर सीट नहीं देंगे, तो हम अपना रास्ता देखेंगे।
माना जा रहा है कि संतोष ने इस्तीफा आने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए किया है। लोकसभा चुनाव के लिए जीतन राम मांझी 5 सीटों पर अपनी पार्टी का दावा ठोक रहे थे। जिसके लिए मांझी ने बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी। मांझी मुख्यमंत्री के आवास पर अपने विधायकों के साथ पहुंचे थे और लगभग एक घंटे तक नीतीश कुमार से उनकी बातचीत हुई थी। इस दौरान संतोष सुमन भी वहां मौजूद थे।
नीतीश से मुलाकात के बाद मांझी ने कहा था कि हम गठबंधन के तहत सूबे की पांच सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। हमारी पार्टी के लिए बिहार में पांच लोकसभा सीटें भी कम हैं। उन्होंने कहा कि हम जिधर रहेंगे, उधर जीतेंगे। ये सभी को पता है। जीतनराम मांझी ने खुलकर कुछ नहीं कहा था, लेकिन उनके इस बयान को महागठबंधन से किनारा करने और एनडीए का दामन थामने की धमकी के तौर पर देखा जाने लगा था।
संतोष मांझी ने इस बात पर भी नाराजगी जताई गई कि विपक्षी एकता के नाम पर 23 जून को पटना में हो रही बड़ी बैठक से उन्हें दूर रखा गया है। सोमवार को जीतनराम मांझी ने खुलकर स्वीकार किया था कि उन्हें विपक्षी एकता के नाम पर पटना में होने वाली बैठक के लिए बुलावा नहीं मिला है। कुछ दिनों पहले तक मांझी लगातार यह कह रहे थे कि वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का साथ नहीं छोड़ेंगे, लेकिन संतोष मांझी का यह कदम साफ कर रहा है कि जीतनराम अपनी बात पर कायम नहीं रह सके।
बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा कि नीतीश कुमार आज की तारीख में तेजस्वी यादव की गुलामी स्वीकार कर चुके हैं। तेजस्वी यादव बिल्कुल पसंद नहीं करेंगे कि उनके साथ कोई पढ़ा लिखा युवा रहे, क्योंकि इससे उनकी कमियां उजागर हो जाएंगी।
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