SAHARSA : सहरसा जिला जहाँ पूर्व सांसद लवली आनंद ने सरकार पे तंज कसते हुए कहा कि फिर एक बार ठगा गया कोशी ।डिप्टी सी एम सहित पांच-पांच मंत्रियों के रहते कोशी वर्तमान बजट से लगभग बाहर है। “विकसित बिहार और समृद्ध बिहारी” के नारों के साथ पेश इस बजट में युवाओं के लिए कुछ खास नहीं है। इसी बात से साबित होता है कि युवा मामलों के मंत्रालय ए एसको आवंटित राशि नीचे से एक पायदान ऊपर है। यानि सबसे नीचे खान और भूतत्व विभाग को 49 करोड़ 19 लाख और उसके एक पायदान ऊपर युवा विभाग को 176 करोड।

खुद में रोजगार सृजन की संभावनाएं समेटे एक और विभाग पर्यटन की उम्मीदें भी तब दम तोड़ती नज़र आ रही है जब इसे नीचे से तीसरे पायदान पर स्थान दिया गया है। इसके लिए कुल आवंटित राशि मात्र 326 करोड़ है । राज्य के लिए सबसे दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि औद्योगिकरण और रोजगार के अवसर प्रदान करने वाले उद्योग विभाग को मात्र 1643 करोड़ की निहायत कम राशि आवंटित की गई। इससे प्रदेश में आगे और पलायन की संभावनाएं बढ़ेंगी। सम्पूर्ण बजट पर सरसरी निगाह दौराने पर यह साफ दिखता है कि चुनावों में फंडिंग और पार्टी खज़ाना भरने के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी ने अपने चहेते मंत्रियों का विशेष ख्याल रखा है। गौरतलब हो कि जिस सात निश्चय में पिछले वर्ष सबसे ज्यादा लूट-खसोट और भ्रष्टाचार व्याप्त था, उसी सात निश्चय-2 पर पुनः 5000 करोड़ की धनवर्षा कर सत्ता संरक्षित संवेदकों और अधिकारियों की काली कमाई का दरवाजा खोल दिया गया है।
आश्चर्य तो यह है कि राज्य की चौपट शिक्षा व्यवस्था पर सबसे ज्यादा राशि 39191 करोड़ लुटाकर शिक्षा माफियाओं और अधिकारियों को मालामाल करने की योजना स्पष्ट तौर पर परिलक्षित होती है।

बिहार के वर्तमान बजट में कुछ भी नया और विशेष नहीं है । न समग्र विकास का दृष्टिकोण, न रोजगार के नए अवसर,न भ्रष्टाचार से निजात और लचर कानून-व्यवस्था से मुक्ति के उपाय, न कोई भविष्य की योजना।वही पुरानी घोषणाओं और योजनाओं को फिर से पूरा करने के घिसे-पिटे वादे । कुल मिलाकर बजट बिहार के लिए पूरी तरह निराशा जनक और दिशाहीन है। इसमें न तो विकसित बिहार के विजन हैं और न ही समृद्ध बिहारी का संकल्प। ‘न्याय के साथ विकास’ महज एक भौंडा मज़ाक बनकर रह गया है।
सहरसा इन्द्रदेव

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