नारायणपुर। प्रखंड कार्यालय परिसर में रविवार को अवैध बालू और मिट्टी खनन के खिलाफ एक दिवसीय शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का नेतृत्व युवा नेता सुमित कुमार यादव ने किया। उन्होंने कहा कि गंगा और कोशी नदी में अवैध खनन के कारण नदी में गहरे गड्ढे बन गए हैं, जिनमें पानी भरने पर बच्चों और श्रद्धालुओं की जान जा रही है। लेकिन इसके बावजूद स्थानीय प्रशासन द्वारा किसी प्रकार की ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है, जिससे अवैध खनन माफियाओं के हौसले बुलंद हैं।
सुमित यादव ने कहा कि सावन की पहली सोमवारी को मधुरापुर गंगा जहाज घाट पर स्नान करने गए दो बच्चों की डूबने से मौत हो गई थी। इससे पूर्व पिछले वर्ष भी इसी घाट पर चार श्रद्धालुओं की डूबने से मौत हो गई थी। लगातार हो रही इन घटनाओं से स्थानीय लोगों में भय का माहौल बना हुआ है। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि जो खनन का लाइसेंसधारी है, यदि वह मानक से अधिक खनन कर रहा है, तो उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाए। यदि खनन पूरी तरह अवैध है, तो इसके संचालन में संलिप्त लोगों पर सख्त कानूनी कार्रवाई करते हुए इस पर रोक लगाई जाए ताकि किसी अन्य परिवार को अपने बच्चों को इस प्रकार खोने का दर्द न सहना पड़े।
धरना में शामिल अभाविप के पूर्व प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य पंकज कुमार यादव ने कहा कि अवैध खनन प्रशासन की मिलीभगत से ही हो रहा है। यदि प्रशासन निष्पक्षता से कार्य करता तो गंगा और कोशी के घाटों से अवैध खनन को रोका जा सकता था। उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन ने 15 दिनों के अंदर इस दिशा में ठोस कार्रवाई नहीं की, तो प्रखंड मुख्यालय के साथ जिला मुख्यालय पर भी आंदोलन तेज किया जाएगा।
धरना प्रदर्शन में सुमन रजक, अश्विनी कुमार यादव, गौरव यादव, केशव कृष्णा, प्रताप कुमार सहित अन्य कार्यकर्ता और स्थानीय ग्रामीण भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। सभी ने हाथों में तख्तियां लेकर “अवैध खनन बंद करो”, “घाट को सुरक्षित करो”, “माफियाओं पर कार्रवाई करो” जैसे नारे लगाए।
वहीं, मधुरापुर गंगा जहाज घाट पर जलस्तर में तेजी से वृद्धि को देखते हुए घाट की सुरक्षा और व्यवस्थित निर्माण की मांग को लेकर स्थानीय समाजसेवी डॉ सुधांशु कुमार ने सीओ नारायणपुर के कार्यालय में आवेदन दिया है। उन्होंने कहा कि घाट के निर्माण कार्य के लिए गड़े लोहे के छड़, बोल्डर व अन्य निर्माण सामग्री बेतरतीब ढंग से पड़ी हुई है। जलस्तर बढ़ने पर ये चीजें श्रद्धालुओं और स्नान करने वालों के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं। इसलिए इन सभी सामग्रियों को व्यवस्थित करना और घाट के किनारों को सुरक्षित करना अत्यंत आवश्यक है ताकि सावन और अन्य पर्वों में स्नान करने आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
डॉ सुधांशु ने प्रशासन से अनुरोध किया कि जिस प्रकार जलस्तर में तेजी से वृद्धि हो रही है, घाट को सुरक्षित करने के लिए तत्काल जरूरी कदम उठाए जाएं। वहीं, ग्रामीणों ने भी कहा कि घाट की सुरक्षा के लिए बांस-बल्ला और रस्सी से बैरिकेडिंग कर श्रद्धालुओं के स्नान क्षेत्र को सीमित किया जाए ताकि किसी प्रकार की अनहोनी से बचा जा सके।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि प्रशासन और जनप्रतिनिधि समय रहते ध्यान नहीं देंगे तो घाट पर होने वाली घटनाओं को रोका नहीं जा सकेगा। धरना-प्रदर्शन के माध्यम से युवाओं ने अवैध खनन और घाट की सुरक्षा को लेकर जो आवाज उठाई है, उससे लोगों में उम्मीद जगी है कि प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर कार्रवाई करेगा और घाट पर सुरक्षा के समुचित प्रबंध कराएगा। ग्रामीणों ने कहा कि प्रशासन को घाट पर बचाव दल की तैनाती, लाइफ जैकेट और नाव की सुविधा भी सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि किसी आपात स्थिति में तत्काल बचाव किया जा सके।
धरना कार्यक्रम शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ और स्थानीय प्रशासन ने भी युवाओं को आश्वासन दिया कि जल्द ही इस दिशा में आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
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