महाराष्ट्र के सांगली जिले से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है, जिसने समाज को झकझोर कर रख दिया है। आटपाडी तहसील के नेलकरंजी गांव में रहने वाले एक स्कूल शिक्षक ने महज इस कारण से अपनी 16 वर्षीय बेटी की जान ले ली क्योंकि वह 12वीं कक्षा की परीक्षा में अपेक्षा से कम नंबर लेकर आई थी। आरोपी पिता ने बेटी को इतनी बेरहमी से पीटा कि उसकी मौत हो गई।
यह अमानवीय घटना शनिवार रात की बताई जा रही है। आरोपी की पहचान धोंडीराम भोसले (उम्र 45 वर्ष) के रूप में हुई है, जो पेशे से एक शिक्षक है। मृतका साधना भोसले बारहवीं कक्षा की छात्रा थी और हाल ही में उसके परीक्षा परिणाम आए थे। साधना की मां द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, परीक्षा में अपेक्षा से कम अंक आने पर पिता धोंडीराम ने पहले साधना को डांटा और फिर गुस्से में आपा खो बैठा।
पुलिस के अनुसार, धोंडीराम ने आटा पीसने वाली चक्की का भारी लकड़ी का हैंडल उठाया और उसी से बेटी पर ताबड़तोड़ वार करने लगा। यह खौफनाक मंजर घर के अंदर उसकी पत्नी और बेटे के सामने ही घटा। साधना बार-बार पिता से माफी मांगती रही, लेकिन गुस्से में अंधे हो चुके पिता ने उस पर कोई रहम नहीं किया।
घटना के तुरंत बाद गंभीर रूप से घायल साधना को पास के अस्पताल ले जाया गया, जहां से उसे सांगली के जिला अस्पताल में रेफर कर दिया गया। इलाज के दौरान ही साधना ने दम तोड़ दिया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उसकी मौत का कारण “शरीर पर गंभीर चोटें” बताया गया है।
आटपाडी पुलिस थाने के वरिष्ठ निरीक्षक विनय बहिर ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया, “हमें रविवार को लड़की की मां की शिकायत मिली थी, जिसके आधार पर आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया गया है। घटना के वक्त घर में मां और बेटा भी मौजूद थे, जो बेहद डरे हुए हैं।”
इस वारदात ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है। ग्रामीणों के अनुसार, धोंडीराम एक अनुशासित लेकिन सख्त मिजाज वाला व्यक्ति था। अक्सर वह बच्चों पर पढ़ाई को लेकर दबाव बनाता था, लेकिन कोई नहीं सोच सकता था कि वह अपनी ही बेटी की जान ले लेगा।
समाज में शिक्षा का दबाव किस हद तक बच्चों और उनके माता-पिता को प्रभावित कर रहा है, यह घटना उसका दर्दनाक उदाहरण बन गई है। आज के समय में जब मानसिक स्वास्थ्य और संवाद की ज़रूरत पर ज़ोर दिया जा रहा है, तब इस तरह की घटनाएं यह दिखाती हैं कि अब भी जागरूकता और सहनशीलता की भारी कमी है।
स्थानीय बाल संरक्षण अधिकारियों ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है और परिवार के अन्य बच्चों की मानसिक स्थिति की जांच की जा रही है। साधना की मां और भाई को काउंसलिंग दी जा रही है।
यह घटना एक बार फिर सोचने पर मजबूर करती है — क्या परीक्षा में कम नंबर आना किसी की जान से ज्यादा कीमती हो सकता है? क्या एक शिक्षक होने के बावजूद यह व्यक्ति इतना असंवेदनशील हो गया कि उसने अपने ही बच्चे को मौत के घाट उतार दिया?
पुलिस ने आरोपी के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर आगे की जांच शुरू कर दी है। आरोपी को स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
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**निष्कर्ष:**
यह दर्दनाक घटना समाज के उस चेहरे को उजागर करती है, जो बच्चों की मानसिक स्थिति को नज़रअंदाज कर केवल अंकों के पीछे भागता है। ज़रूरत इस बात की है कि बच्चों को अंक नहीं, समर्थन और समझ की ज़रूरत है। वरना, ऐसा नहीं कि कल फिर कोई साधना सिर्फ कम नंबर लाने की सजा में अपनी जान गंवा दे।
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