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भागलपुर स्थित **तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (TMBU)** एक बार फिर विवादों में घिर गया है। विश्वविद्यालय के कुलपति **प्रोफेसर जवाहरलाल** पर गंभीर आरोप लगाते हुए रविवार को **सिंडिकेट के कई वरिष्ठ सदस्य** उनके आवास परिसर में धरने पर बैठ गए। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि कुलपति द्वारा **पेंशन भुगतान में घूसखोरी और अनियमितता** की जा रही है।

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धरना देने वालों में **निर्लेश कुमार, मोहम्मद मुश्फिक आलम, के.के. मंडल** और **मुकेश कुमार** जैसे वरिष्ठ सदस्य शामिल रहे। इन सदस्यों ने स्पष्ट आरोप लगाया कि **बिना घूस दिए सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन नहीं मिल रही है**, जिससे बुजुर्ग कर्मचारियों को भारी मानसिक और आर्थिक पीड़ा झेलनी पड़ रही है।

प्रदर्शनकारियों ने यह भी बताया कि कुलपति ने **अपना आवास ही कार्यालय बना लिया है**, जिससे प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। उनका कहना है कि यदि कुलपति विश्वविद्यालय के **प्रशासनिक भवन में बैठते**, तो हाल ही में **परीक्षा विभाग में हुई धांधली** को रोका जा सकता था। उन्होंने आरोप लगाया कि कुलपति **अपनी जिम्मेदारी निभाने के बजाय ‘दलाली’ की भूमिका** निभा रहे हैं।

सिंडिकेट सदस्यों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर **नियमित प्रक्रियाओं की अवहेलना** का आरोप लगाते हुए कहा कि यह मामला केवल कुछ लोगों का नहीं, बल्कि **पूरे विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के हक** से जुड़ा हुआ है। उनका कहना है कि जब तक **पेंशन वितरण की प्रक्रिया को पारदर्शी और भ्रष्टाचारमुक्त** नहीं बनाया जाता, तब तक वे **चरणबद्ध आंदोलन** करते रहेंगे।

धरने के दौरान प्रदर्शनकारियों ने यह भी चेतावनी दी कि यदि विश्वविद्यालय प्रशासन ने जल्द ही **उनकी मांगों को नहीं माना**, तो आंदोलन **और उग्र रूप** ले सकता है। प्रदर्शनकारी लगातार यह दोहराते रहे कि यह संघर्ष किसी **राजनीतिक स्वार्थ** से प्रेरित नहीं है, बल्कि एक **सामाजिक और नैतिक ज़िम्मेदारी** के तहत उठाया गया कदम है।

अब तक **टीएमबीयू प्रशासन** की ओर से इस पूरे मामले में **कोई औपचारिक प्रतिक्रिया** नहीं आई है। लेकिन विश्वविद्यालय के भीतर बढ़ते असंतोष और आरोपों की गंभीरता को देखते हुए संभावना जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में विश्वविद्यालय प्रशासन को इस पर **स्पष्टीकरण देना ही होगा**।

फिलहाल, भागलपुर विश्वविद्यालय में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और सभी की नजरें कुलपति व प्रशासनिक तंत्र की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।

 

 

 

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