पटना: राजधानी पटना के दानापुर इलाके में मिलिट्री इंटेलिजेंस (लखनऊ) और दानापुर पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में एक बड़े फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ हुआ है। दानापुर नगर की मुख्य सड़क स्थित एमके मार्केट में छापेमारी कर सुरक्षा बलों, बैंक, स्कूल और विभिन्न सरकारी व गैर-सरकारी संस्थानों के लिए अवैध रूप से बनाए जा रहे रबर स्टांप बरामद किए गए हैं। इस कार्रवाई के दौरान एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, जिसकी पहचान चित्रकूट नगर निवासी रवींद्र जीत वडेरा के रूप में हुई है।

गुप्त सूचना पर हुई कार्रवाई

दानापुर थानाध्यक्ष पीके भारद्वाज ने बताया कि मिलिट्री इंटेलिजेंस को लंबे समय से सूचना मिल रही थी कि एमके मार्केट में स्थित एक दुकान से अवैध रूप से रबर स्टांप बनाए और बेचे जा रहे हैं। सूचना के आधार पर सोमवार को मिलिट्री इंटेलिजेंस की लखनऊ टीम ने दानापुर पुलिस के साथ संयुक्त छापेमारी की। छापेमारी के दौरान पुलिस ने दुकान से सेना, अर्धसैनिक बल, बैंकों, स्कूलों और अन्य सरकारी व गैर-सरकारी विभागों के 100 से अधिक रबर स्टांप बरामद किए।

इनमें 20 से ज्यादा ऐसे स्टांप थे जो भारतीय सेना से संबंधित अत्यंत संवेदनशील दस्तावेजों के लिए प्रयुक्त किए जा सकते थे। ऐसे स्टांप का किसी असामाजिक तत्व के हाथ लगना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हो सकता था।

देश विरोधी गतिविधियों में इस्तेमाल की आशंका

थानाध्यक्ष भारद्वाज ने बताया कि बरामद किए गए स्टांप्स का उपयोग अवैध कार्यों में किया जा सकता था, जैसे फर्जी दस्तावेज बनाकर सेना में भर्ती, सरकारी योजनाओं का फर्जी लाभ उठाना, या यहां तक कि ऑपरेशन सिंदूर जैसे सुरक्षा अभियानों को भी नुकसान पहुंचाना। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार की गतिविधियां देश विरोधी ताकतों को सहायता पहुंचाने का जरिया बन सकती थीं।

बिना अनुमति बनाते थे स्टांप

पूछताछ में खुलासा हुआ है कि आरोपी बिना किसी वैध लाइसेंस अथवा सरकारी अनुमति के स्टांप तैयार करता था। स्टांप तैयार कराने वालों से वह प्रमिशन लेटर की मांग नहीं करता था, जो कि कानूनन अनिवार्य है। भारत सरकार के नियमों के अनुसार कोई भी रबर स्टांप बनाने की दुकान तभी खोली जा सकती है जब उसके पास राज्य सरकार से विधिवत लाइसेंस हो। इसके साथ ही, बिना वैध पहचान और दस्तावेजों के किसी को भी स्टांप देना पूरी तरह अवैध और दंडनीय अपराध है।

छह माह से था रडार पर

थानाध्यक्ष के अनुसार आरोपी पिछले छह महीनों से मिलिट्री इंटेलिजेंस के रडार पर था। उसके कार्यों पर नजर रखी जा रही थी और जैसे ही पर्याप्त साक्ष्य एकत्र हुए, पुलिस टीम ने यह कार्रवाई की। यह भी संदेह है कि आरोपी ने पहले भी कई बार सेना और अन्य विभागों के फर्जी स्टांप तैयार किए हैं, जिनका उपयोग अभी जांच का विषय है।

और गिरफ्तारी की संभावना

रवींद्र जीत वडेरा से पूछताछ जारी है और पुलिस को उम्मीद है कि इस रैकेट से जुड़े और भी लोगों के नाम सामने आएंगे। इस बात की भी जांच की जा रही है कि किन-किन विभागों को यह फर्जी स्टांप बेचे गए और उनके जरिये क्या-क्या कार्य किए गए। पुलिस यह भी पता लगाने में जुटी है कि कहीं इस रैकेट का नेटवर्क राज्य या देश के अन्य हिस्सों में भी तो फैला हुआ नहीं है।

कानूनी प्रक्रिया और अगला कदम

गिरफ्तार आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। फॉरेंसिक टीम को भी मौके पर बुलाया गया है ताकि बरामद स्टांप्स की तकनीकी जांच कर यह सुनिश्चित किया जा सके कि इनका उपयोग किन-किन दस्तावेजों पर किया गया है।

मिलिट्री

जनता से अपील

पुलिस ने आम जनता और संस्थानों से अपील की है कि यदि वे किसी भी रबर स्टांप की आवश्यकता महसूस करें, तो केवल अधिकृत और लाइसेंस प्राप्त दुकानों से ही इसे बनवाएं। साथ ही, स्टांप बनवाते समय पहचान पत्र और प्रमिशन लेटर जरूर प्रस्तुत करें, जिससे किसी भी प्रकार की कानूनी समस्या से बचा जा सके।

निष्कर्ष

दानापुर में हुई यह छापेमारी एक बड़ी सफलता मानी जा रही है, जिससे न केवल एक अवैध कारोबार का पर्दाफाश हुआ है, बल्कि देश की सुरक्षा के लिए संभावित खतरे को भी समय रहते टाल दिया गया है। मिलिट्री इंटेलिजेंस और पुलिस की इस कार्रवाई से यह स्पष्ट हो गया है कि देश विरोधी गतिविधियों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आने वाले दिनों में इस रैकेट से जुड़े और भी खुलासे हो सकते हैं।

 

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